सोयी हुई है जनता – पैट्रोल कंपनियों को मिली है लूट की खुली छूट, क्रूड आयल पहले से सस्ता फिर भी महंगे है पैट्रोल डीज़ल।

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petrol price hike

उदयपुर। जनता दरसल बेवकूफ है उसको कुछ समझ आता नहीं जो समझ आये उसके सामने तथ्य रख दो झूठ बोल दो वह मान लेगी कोई सवाल नहीं करेगी। डीज़ल पैट्रोल के दाम सारे रिकॉर्ड तोड़ रहे है। और सत्ता जनता को लॉलीपॉप चूसा रही है,..  बढ़ते हुए दामों में सरकार का कोई हाथ नहीं यह तो क्रूड आयल के दाम बढ़ने से दाम बढे है। क्यों की सत्ता में बैठे बड़े बड़े ज्ञानियों को पता है कि इन 125 करोड़ की जनता में कुछ गिनती के लोगों को छोड़ कर सत्ता से सवाल करने का माद्दा किसी में नहीं है। 81-82 Rs ही क्या 100/- Litter के पार भी दाम चले जायेगें इसके बावजूद कोई सवाल नहीं करेगा। सर्कार के कारिंदन को झूठ बोलने जनता को बरगलाने या गुमराह करने में कोई भी फर्क नहीं पड़ता झूठे आंकड़ों या झूठी बातों से बस दिलासा देदेते है।
जी हाँ पैट्रोल और डीज़ल ने अपने सारे पिछले रिकॉर्ड ब्रेक कर दिए है। पहली बार 74 पार होने के बाद अब पेट्रोल की कीमतें पहली बार 81 रूपए प्रति लीटर से ज्यादा हो गई हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर में 29 अगस्त 2018 को पहली बार पेट्रोल के भाव 81 रूपए 5 पैसे और डीजल की कीमतें 74 रूपए 32 पैसे प्रति लीटर हो गई हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब जयपुर में पेट्रोल की कीमतें 81 रूपए प्रति लीटर के पार हुई हैं। जयपुर के अलावा राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 78.18 रुपए प्रति लीटर है, तो डीजल 69.75 रुपए प्रति लीटर हो गया है। वहीं, मुंबई में पेट्रोल 85.60 रुपए/लीटर और डीजल 74.05 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गया है। जानकारों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने के साथ ही रुपए के मूल्य में गिरावट की वजह से भी पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ी हैं। आज अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड 75.96 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआइ क्रूड 68.51 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रहे हैं। भारतीय बाजार में कच्चे तेल के भाव 4,800 रूपए प्रति बैरल के आसपास चल रहे हैं।

2018 में 2014 के मुकाबले सस्ता है कच्चा तेल, फिर भी पेट्रोल—डीजल महंगे
2014 में जब भारत कच्चा तेल 6,408 रूपए प्रति बैरल के स्तर पर था, उस समय पेट्रोल 71.41 रूपए प्रति लीटर और डीजल 56.71 रूपए प्रति लीटर मिल रहा था। आज भारत में कच्चे तेल की कीमत लगभग 4,800 रूपए प्रति बैरल है, तो पेट्रोल 81.05 रूपए और डीजल 74.32 रूपए प्रति लीटर मिल रहा है। 2014 के मुकाबले अब कच्चे तेल की कीमतें 25 फीसदी तक कम हो गई हैं। इसके बावजूद पेट्रोल 9.64 रूपए और डीजल 17.61 रूपए प्रति लीटर महंगा हो गया है। असल में पेट्रोल—डीजल की कीमतें बढ़ने का कारण है कच्चे तेल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी। जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड सस्ता हो रहा था, तब सरकार ने नवम्बर 2014 से जनवरी 2016 तक उत्पाद शुल्क में 9 बार बढ़ोतरी कर दी। मौजूदा वक्त में केन्द्र और राज्य सरकार पेट्रोल पर ग्राहकों से 39 रूपए 31 पैसे और डीजल पर 27 रूपए 79 पैसे टैक्स वसूल रही है। यदि सरकारें उत्पाद शुल्क में कमी कर दें, तो पेट्रोल—डीजल सस्ता हो सकता है।
10 फीसदी तक बढ़ सकता है भाड़ा जयपुर ट्रांसपोर्ट यूनियन से जुड़े इन्द्र कुमार चड्ढा बताते हैं कि हर दिन डीजल की कीमतें बढ़ने से ट्रांसपोर्टर नुकसान उठा रहे हैं। पेट्रोलियम कंपनियां रोजाना डीजल—पेट्रोल के भाव में कुछ पैसे की बढ़ोतरी कर देती है, थोड़ी—थोड़ी बढ़ोतरी के कारण ट्रांसपोर्टर्स पेट्रोलियम पदार्थों के भाव के हिसाब से भाड़ा नहीं बढ़ा पा रहे हैं। बीते 2 महीने में जिस तरह से डीजल—पेट्रोल महंगा हुआ है, उसके कारण ट्रांसपोर्टर 10 से 12 फीसदी तक नुकसान उठा रहे हैं। यदि कीमतें इसी स्तर पर बनी रहीं तो आने वाले दिनों में भाड़ा कम से कम 10 फीसदी बढ़ना तय है। इसी तरह पेट्रोल महंगा होने से शहरी मध्यम वर्ग के लोगोें पर बोझ बढ़ गया है।

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