पोस्ट न्यूज़ . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी टीवी को दिए इंटरव्यू के दौरान देश में बढती बे रोजगारी पर चाय और पकोड़े तलने को भी रोज़गार से जोड़ते हुए बड़े आराम से कह दिया था कि पकोड़ा बेचना भी रोज़गार है और युवाओं को इसके लिए भी तय्यार रहना चाहिए . मोदी के इस बयान के बाद जहाँ युवा खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे है विपक्ष “पकोड़ा राजनीति पर उतर आई है वहीँ अब भाजपा के नेता और राज्य सभा सदस्य और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी पकोड़ा रोजगार की पैरवी करते नज़र आ रहे है . राज्य सभा में अमित शाह ने अपने भाषण के दौरान कहा कि बेरोजगार होने से अच्छा है पकोड़े बेचना . इस बयान के बाद मानो पकोड़ा राजनीति में भूचाल आगया है . कांग्रेस इस पकोड़ा राजनीति पर सरकार को घेर रही है वहीँ अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पकोड़ा रोजगार को लेकर सोशल मीडिया पर खूब मजाक बन रहा है . हर कोई अपने पोस्ट पर पकोड़ा रोजगार को लेकर व्यंग दाल रहा है . मोदी सरकार अब अपने विरोधियों से बचने का रास्ता तलाश रही है. इसके लिए बीजेपी नेता और सांसद अजीब-अजीब तरह की तर्क दे रहे हैं. आलम ये है कि अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सरकार के लोग पकौड़ा बेचने को भी रोजगार मानने लगे हैं. बीजेपी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद अमित शाह ने राज्यसभा में अपने पहले भाषण में कहा कि बेरोजगारी से अच्छा है कि युवा मेहनत कर पकौड़े बेचें. बता दें कि इससे पहले एक चैनल के इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी भी कह चुके हैं कि पकौड़े बेचना भी रोजगार है. कांग्रेस बीजेपी को लगातार रोजगार के मुद्दे पर घेर रही है. हालांकि बीजेपी भी अपने विरोधियों को जवाब देने की कोशिश कर रही है. अमित शाह ने राज्यसभा में कहा, “मैं मानता हूं बेरोजगारी की समस्या है मगर 55 साल से कांग्रेस शासन के बाद ये हाल है तो कौन जिम्मेदार है.” बता दें कि नरेन्द्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त हर साल 1 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था. लेकिन सत्ता में आने के बाद वास्तविकता कुछ और ही है. अगर सिर्फ 2017 की बात करें तो सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में सिर्फ 20 लाख नौकरियां मिलीं.
हालांकि सरकार एक रिपोर्ट के हवाले से यह दावा कर रही है कि 2017 में 70 लाख नौकरियां मिली. बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर देशभर में कई जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.