Post news. लोकसभाउपचुनाव की तारीख भले की घोषित नहीं हुई हो, लेकिन एक संस्था ने जिले में पब्लिक ओपिनियन पोल शुरू कर दिया है। डोर-टू-डोर जाकर मतदाताओं का मन टटोला जा रहा है।
नया बाजार और आस पास के क्षेत्र में नोट बंदी और जीएसटी के बाद बने हालातों की जानकारी जुटाई जा रही है। साथ ही यह भी पूछा जा रहा है कि वे उपचुनाव में भाजपा को वोट देंगे अथवा नहीं। मुख्यमंत्री जनसंवाद कार्यक्रम के बाद जिले के मतदाता भी इस बात को लेकर अचरज में हैं कि पहली बार घर-घर संस्था प्रतिनिधि आकर उनकी राय ले रहे हैं। लेकिन मतदाता भी ओपिनियन पोल से दो कदम आगे चलने लगे हैं। कई मतदाताओं ने तो यहां तक कह दिया कि देश में जब गुप्त मतदान का प्रावधान है तो चुनाव से पहले उनकी राय क्यों जानी जा रही है। मतदान किस दल के पक्ष में करते हैं इसका खुलासा मतदान से पहले क्यों किया जाए।
कांग्रेस भी एक सर्वे करा चुकी है
कांग्रेसभी हाल ही में एक सर्वे करा चुकी है जिसमें जिले भर में एक निजी कंपनी के सर्वेयर ने यह पूछा कि अजमेर के लोग सचिन पायलट को सांसद के रूप में पसंद करेंगे या मुख्यमंत्री के रूप में। इस सर्वे के बाद से ही कांग्रेस के अनेक दिग्गज अजमेर में सक्रिय हैं।
कौन करवा रहा है सर्वे?
सर्वेकौन करवा रहा है? यह सवाल पूछा जा रहा है। लेकिन माना यह जा रहा है कि शायद भाजपा करवा रही होगी। मौजूदा हालातों में भाजपा को ही इस बात की तसल्ली करनी ज्यादा जरूरी नजर है कि जीएसटी और नोट बंदी पार्टी के गले तो नहीं पड़ने जा रही। भाजपा सरकार के इन दोनों कदमों से सबसे ज्यादा बुरा असर कारोबारी वर्ग पर ही पड़ा है जो भाजपा का परंपरागत वोटबैंक माना जाता रहा है। सर्वे में सबसे बड़ा और अहम सवाल ही यह है कि वे भाजपा को वोट देंगे या नहीं?
शहर में इस बात को चर्चा रही कि जब लोकसभा उपचुनाव को लेकर आचार संहिता ही लागू नहीं हुई, इससे पहले सर्वे शुरू हो गया है। जानकारों का मानना है कि भाजपा के लिए यह चुनाव चुनौति से कम नहीं है। यही वजह से है कि सीएम भी लगातार जिले के दौरे पर रहीं और हर विधानसभा में कार्यक्रम आयोजित कर विभिन्न समाज प्रतिनिधियों से चर्चा की।
अजमेर उपचुनाव में घर घर जा कर पूछा जा रहा है , भाजपा को वोट दोगे या नहीं ?
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