जनता का जूता जनता के ही मूंह पर मारा युआईटी ने – गृहमंत्री ने कहा वाह क्या बात है

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उदयपुर। आज उदयपुर की आम जनता का जूता उसके ही मूंह पर मारा है यु आई टी ने। यु आई टी के इस महान कार्य को शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया ने खुश होकर फीता काटा और कहा वाह क्या बात है इस तमाचे से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, ग्रामीण विधायक फूल चंद मीणा ने भी कहा यह जूता पर्यटन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। युआईटी अध्यक्ष रविन्द्र श्रीमाली भी जनता को पड़ रहे जूते से खुश दिखाई दे रहे थे।  यही नहीं जिन जिन जन – प्रतिनिधियों को जनता ने चुन कर जनहित के लिए भेजा आज जनता पर पड़ने वाले जुते से खुश दिखाई दे रहे थे।
जीहाँ सही सूना जनता का जूता जनता के सर।  फतह सागर पर फिश एक्वेरियम का उदघाटन हुआ और जनता के लिए देखने का शुल्क रखा गया है 100 रूपये जो सरासर शहर की जनता के लिए वेसा ही है जेसे अपना जुता अपने सर।  युआइटी ने करोड़ों खर्च कर फिश एक्वेरियम की गेलेरी बनाई तो क्या यह जनता का रुपया नहीं है,…यह करोड़ों रुपया यु आई टी के जिम्मेदार अपने घर से लेकर आयें है ? फतहसागर पर जिस जगह फिश एक्वेरियम बनाया गया क्या यह इन जिम्मेदार लोगों की निजी संम्पत्ति है ?  फतह सागर को शहर की जनता ने ही आबाद किया हुआ है, यह जगह आम जनता की है ,.. लेकिन युआईटी की निजी कंपनी से जनता की भागीदारी के नाम पर जनता को लूटने की ये एक सोची समझी योजना है जिस के लिए सभी जिम्मेदारों पर अपराधिक मुकदमा दर्ज होना चाहिये।
पिछले कई सालों से फतहसागर पर उदयपुर की जनता को को फिश एक्वेरियम बनने का इंतज़ार था लेकिन एक्वेरियम के शुरू होते ही जनता की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। सत्ता धारियों ने निजी कंपनी के साथ मिल कर उदयपुर की जनता के मूह पर  तमाचा जड़ा है,  और एसा लग रहा है मानो निजी हितों के चलते जनता की संम्पत्ति को ही बेच कर जश्न मना रहे है।
निजी कंपनी मंशापुरण करणी माता रोपवे प्रा. ली. की भागीदारी में युआईटी ने फिश एक्वेरियम का निर्माण करवाया और अब टिकिट उसकी रख दी है 100 रूपये साथ में 18 रूपये जीएसटी के अलग। शहर की जनता अब सिर्फ इसको बाहर से गेट से ही निहार सकेगी, बच्चे फिश देखने की जिद करेगें लेकिन माँ बाप को अपने बजट देख कर जाना पड़ेगा।  कहलाने को जनता के प्रतिनिधि लेकिन एक बार भी जनता के हित के बारे में नहीं सोचा। देश के पहले वर्चुअल फिश एक्वेरियम का दावा किया जारहा है लेकिन देश में पहला एसा फिश एक्वेरियम होगा जिसकी फीस 100 रूपये रखी गयी है। जबकि देश के एनी हिस्सों में बने फिश एक्वेरियम पर नज़र डालें तो १० रूपये से ५० रूपये तक का शुल्क है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि गेलेरी का निर्माण जनता के पैसे से करवाया गया. और उसको बेच दिया निजी ठेकेदार को , साथ ही उसको खुली छूट और देदी लूटने की कि जितना हो सके जनता की खाल उतार दो। कहा जारहा है कि अभी तो एक्वेरियम का पहला चरण का काम ही हुआ है आखरी चरण का काम होने के बाद तो शायद २५० से ३०० रूपये टिकिट हो जायेगा।
सरकार और आमजनता की भागीदारी के नाम पर एक ही कंपनी को बार बार ठेका देदिया जाता है और ठेकेदार की मौज हो जाती है , और शायद यही ठेकेदार सत्ता में बैठे लोगों और अधिकारियों की मौज भी करवाता होगा। इससे पहले दूधतलाई पर रोपवे भी इसी कंपनी के नाम है।
जनता को इससे कोई मतलब नहीं की ठेका किसको दिया जाता है लेकिन अपने ही शहर या अपने ही देश में फिश एक्वेरियम जैसी चीज़ को देखने के लिए उसको इतनी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी यह दुःख की बात है।
बड़ी शान से शनिवार को  गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, ग्रामीण विधायक फूलचंद मीना युआइटी अध्यक्ष रविन्द्र श्रीमाली और जाने सत्ता पक्ष के कितने लोग मोजूद थे किसी ने इतनी ज्यादा रेट पर कुछ नहीं बोला सब के सब वाह वाही कर चाय नाश्ता कर फीता काटा और पर्यटन को बढ़ावा देने की तारीफ करते हुए वहां से आगये।
निजी कंपनी के इस ठेकेदार की जनता को लूटने की मंशा पहले ही दिन झलक गयी जब उसको कहा गया था की पहले दिन शहर की जनता के लिए फ्री किया जाय लेकिन जनता की खाल तक नोचने वाले ने वीअओपी के जाते ही शुल्क लेना शुरू करदिया।

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