चांदी के सिक्कों की बनवाई में मची लूट – एसोसिएशन के फरमान से सर्राफा व्यवसायी परेशान , जेब कट रही जनता की

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उदयपुर। त्यौहार के सीजन में एक आम आदमी की कमर महगाई से वेसे ही टूटी हुई है ऊपर से लक्ष्मी की पूजा में काम आने वाले चांदी के सिक्के या उपहार में देने के लिए सर्राफा बाज़ार से ख़रीदे जा रहे सिक्कों को बाज़ार रेट से ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। सिक्कों की दलाली की वजह से खुद सर्राफा व्यवसाई सर्राफा एसोसिएशन के जारी फरमान से दुखी है। उन्हें एसोसिएशन द्वारा अधिक्रत व्यापारी तय राशि से अधिक वसूल रहा है और वह ग्राहकों से लेने के लिए बाध्य है। इधर सर्राफा एसोसिएशन का गैर जिम्मेदाराना रवय्या भी संदेह पैदा कर रहा है।
अक्सर यह सुनाने में आया है कि सोना – चांदी के व्यवसायी जेवर बनवाई आदि का पैसा ज्यादा वसूलते है लेकिन इन दिनों सोने चांदी के व्यवसाइयों से चांदी के सिक्कों की बनवाई का मेहनताना तय राशि से अधिक लिया जारहा है। सर्राफा व्यवसाइयों ने बताया कि दीपों के महापर्व पर षहर के हजारों हजार लोग मां लक्ष्मी की पूजा, शगुन और खुशी के लिए सोने – चांदी के आभूषण खरीदते हैं। एकदुजे को उपहार देने, पूजा में भी चांदी के सिक्कों को रखना शुभ माना जाता है। ऐसे में उदयपुर की श्री सर्राफा ऐसोसिएषन ने 3 अक्टूबर को एक सक्र्यूलर जारी कर 99 वें प्रतिषत चांदी के सिक्कों की बनवाई के लिए नाचाणी मेटल के घनष्याम नाचाणी को अधिकृत किया था। जिसकी मजदूरी 750 रूपए प्रतिकिलों निर्धारित की गई। इसके साथ ही सभी व्यापारियों से अपील भी की थी कि वे ऐसोसिएशन द्वारा सत्यापित सोने चांदी के सिक्कों को ही खरीदे और बेचे। लेकिन अभी जो बाजारों में चांदी के सिक्के अधिकृत घनष्याम नाचाणी द्वारा दिए जा रहे हैं वह 750 रूपए के हिसाब से नहीं दिए जा रहे है। मनमर्जी की ओनी पोनी राषि व्यापारियों से वसूल की जा रही है। बुधवार को उदयपुर होलसेल गोल्ड ज्वेलर्स ऐसोसिशन से जुड़े पदाधिकारियों ने इस बात का खुलासा करते हुए अपना विरोध जताया और ऐसोसिएशन के फरमान की आलोचना भी की। सभी का कहना था कि नाचाणी द्वारा तय की गई राशि से भी अधिक वसूला जा रहा है। ऐसे में ग्राहकों को सिक्कों को बेचने में भी काफी मुष्किल हो रही है। वर्तमान भाव के से हजार से तीन हजार ज्यादा वसुलने की शीकायत व्यापारियों ने की है।
इधर एसोशिएशन के पदाधिकारी गैर जिम्मेदाराना जवाब दे रहे है। ने श्री सर्राफा ऐसोसिएषन के अध्यक्ष इन्दर सिंह मेहता की राय जानना चाहिए तो पहले तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है और अब ध्यान में आया है तो दिखवाते है,लेकिन बाद में अचानक उन्होंने जो जवाब दिया वह काफी चोंकाने वाला था श्री मेहता ने कहा कि जो इनवेस्ट करता है तो वह थोड़ा बहूत ज्यादा लेने का हक भी रखता है। एसोशिएसन के पदाधिकारी ग्राहकों और सर्राफा व्यवसाइयों के इस नुक्सान को क्यों नज़र अंदाज़ कर अधिकृत किये गए व्यवसायी से जवाब तलब नहीं कर रहे है।

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