फ्लॉप फिल्म जैसी कहानी बता कर पुलिस खुद आगई शक़ के घेरे में – रुचिता हत्याकांड

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img_20161201_125749उदयपुर। चार दिन पहले हुआ रुचिता हत्याकांड पुलिस की बचकानी और फ्लॉप फिल्म की जैसी कहानी की वजह से और ज्यादा उलझता जारहा है। पहले पति केबी गुप्ता पर शक कर उसको हिरासत में लेना उसके बाद उसी अपार्टमेन्ट में रहने वाले दिव्य कोठारी का ह्त्या करना कुबुलना और पुलिस उसको बच्चा समझ कर साइकोसिस का मरीज कह कर पागल बताना। पुलिस द्वारा एसी बचकानी कहानी सुनानना जो की किसी के भी गले नहीं उतर रही। यहाँ तक की जब मिडिया और शहर की जनता में पुलिस की इस फ़िल्मी कहानी की किरकिरी हुई तो पुलिस अधिकारी अपने ही बयान से पलट गए। शहर के पुलिस अधिकारियों ने जधन्य हत्याकांड को मजाक बना कर रख दिया है।
हत्याकांड से जुड़े इसे बीसियों सवाल है जो शहर की आम जनता और मीडिया कर्मियों को नज़र आरहे है, लेकिन पुलिस उनको अनदेखा कर कभी आरोपी को पागल बता कर बचाव कर रही है तो कभी उस की जांच और पूछताछ करने की बात कह रही है। साफ़ तौर पर लग रहा है कि पुलिस अपने किसी निजी नफ़ा नुक्सान या ऊपर के प्रेशर के चलते ह्त्या की गुत्थी को उलझा रहे है और जांच एसी कर रहे है की आरोपी तीन महीने में बाहर आजाये। शहर में तो यहाँ तक कहा जा रहा है कि जिस महिला की ह्त्या हुई वह, जिसने ह्त्या की वह, शहर का गृह मंत्री और पुलिस अधीक्षक के एक ही समाज का होना पुरे मामले में संदेह पैदा कर रहा है। यही नहीं इस मामले के स्पेशल निपटारे के लिए सालों शहर में रहे और हाल में कोटा ट्रांसफर हुए पुलिस अधिकारी जितेन्द्र आंचलिया को कोटा से यहाँ विशेष तौर पर बुलाया जाना भी चर्चा में हैव् कई संदेह पैदा कर रहा है। हत्याकांड का आरोपी दिव्य कोठारी को जहाँ पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र प्रसाद गोयल ने “पागल बच्चा” कह कर मदहोशी की हालत में ह्त्या करने का बयान दिया था अब आज उसी थाणे में पुलिस उपाधीक्षक गोपाल सिंह भाटी कुछ और ही बयान दे रहे है कि आरोपी पागल नहीं है और पुलिस को गुमराह कर रहा है। हकीकत क्या है पुलिस जानने के बावजूद खुलासा नहीं कर रही है।

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जवाब मांगते सवाल :

1 – पहला सवाल सबसे बड़ा यह कि ह्त्या का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं हुआ क्यों ?

2.- पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में आया की उसके चहरे पर धारदार हथियार से वार किये तो धारदार हथियार वाहन के टूल में कैसे बदल गया ?

3 . – आरोपी चूहे मारने की दवाई खा कर मदहोश केसे हो गया जबकि डॉक्टर के अनुसार चूहे मारने की दवाई खाने से मदहोशी नहीं आती।

4 . – अगर आरोपी साइकोसिस का मरीज है या पागल है तो परिजनों ने कभी उसका इलाज क्यों नहीं करवाया ?

5 – आरोपी को बच्चा और साइकोसिस का मरीज बता कर क्यों बचाया जा रहा है ? बचाने के पीछे कही भ्रस्ताचार का खेल तो नहीं ?

6 – पुलिस ने चार दिन में आरोपी की जांच के दौरान किसी सरकारी बड़े मनोचिकित्सक से सलाह या जांच क्यों नहीं करवाई ?

7 . – पुलिस काफी हद तक सच जान चुकी है इसके बावजूद सच को छुपाने के पीछे उसकी क्या मंशा है ?

गौरतलब है कि चार दिन पहले शोभागपुरा के ऑर्बिट अपार्मेंट के फ्लेट नंबर ७०२ में रहने वाली रुचिता गुप्ता की बड़ी बेरहमी से ह्त्या करदी गयी। पुलिस ने शक के आधार पर पहले रुचिता के पति कृष्ण वल्लभ गुप्ता को हिरासत में लिया। लेकिन अगले ही दिन कहानी में नया मोड़ आया और उसी अपार्मेंट में ऊपर के माले में फ्लेट नंबर 802 में रहने वाला 23 वर्षीय दिव्य कोठारी ने फतहपुरा चोकी में आत्मसमर्पण किया और पुलिस के अनुसार उसने कुबूला की उसने ही रुचिता की ह्त्या की। पुलिस ने चार दिन तक तप्तिश करने के बाद शनिवार को पत्रकार वार्ता में सारे मामले का खुलासा किया। खुलासे में पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र प्रसाद गोयल ने बचकानी और बेमतलब की कहानी मीडिया कर्मियों को सूना दी जो किसी के भी गले नहीं उतरी। पुलिस अधीक्षक के अनुसार आरोपी दिव्य कोठारी ने दो बार सीए एंट्रेंस का एक्साम दिया लेकिन सफल नहीं हो पाया और उसके सफल नहीं होने पर उसकी माँ उसको उलाहने देती थी की वह तो चोकीदार बनेगा। ऐसे उलाहनों को सुन कर वह पगला गया और साइकोसिस का मरीज हो गया। घटना वाले दिन सुबह उसने चूहे मारने की दवा कोल्ड ड्रिंक में मिला कर पी और मदहोश हो गया बाद में बजाय अपने फ्लेट में जाने के वह उसके निचे वह भी गलती से रुचिता के फ्लेट नंबर ७०२ में पहुच गया, वहां पर रुचिता ने उसको मदहोशी की हालत में देखा वह अपने घर के अन्दर लेकर आई। रुचिता ने दिव्य को को पानी पिलाया। उसी समय दिव्य कोठारी ने मदहोशी की हालत में रुचिता को अपनी माँ समझ कर उस पर किसी पाने या टूल से वार किये और उसको घसीट कर स्टोर रूम में लगाया और वहां पर भी उसके चहरे पर करीब 15- २० वार किये और उसको बेरहमी से मारडाला। उसके बाद वह अपने फ्लेट में आया और वहां पर खून से सने कपडे बदल कर घर के बाहर निकल गया। घर पर एक नोट छोड़ गया की मेने रुचिता आंटी को नहीं मारा मेरा इस क़त्ल में कोई हाथ नहीं है। पुलिस अधीक्षक ने बताया की उस बच्चे ने यह क़त्ल; मदहोशी और पागलपन में किया। उसको कुछ भी याद नहीं है। पुलिस में उसने पुरे २४ घंटे बाद आत्म समर्पण किया और इस २४ घंटों के दौरान उसने ९ बार खुद को मारने के प्रयास भी किये लेकिन सफल नहीं हुआ इसमे उसने पिछोला में कूड़ा, बड़ी तालाब में कूड़ा १२० की स्पीड से बाइक भी चलाई। यह सब उसने पागल; पण में किया। यह बचकानी कहानी पुलिस अधीक्षक ने बताई। अब जब इस कहानी से सेकड़ों विरोधाभासी सवाल खड़े हुए और लोग और मिडिया सवाल करने लगी तो [उलिस अधीक्षक और एनी पुलिस अधिकारी अपनी ही बात से पलट गए। आज रवीवार को पुलिस उपाधीक्षक गोपाल सिंह भाटी ने बताया की दिव्य कोठारी पागल नहीं है और खुद को बचाने के लिए एसा कर रहा है।
कल जब पुलिस अधीक्षक ने मीडिया को जो बताया था आज पुलिस उपाधीक्षक ने उसके बिलकुल विपरीत बताया। पुलिस खुद ही उलझ गयी है की अब खुद की बनाई हुई फ़िल्मी कहानी से कैसे पीछा छुडाए।

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