मोदी सरकार अपने तीसरे बजट में गरीबों पर तो मेहरबान दिखी लेकिन नौकरीपेशा और मिडिल क्लास को उसने कोई बड़ी राहत नहीं दी. पिछली बार की तरह इस बार भी नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग इनकम टैक्स में छूट और बढ़ने की उम्मीद लगाए हुए बैठा था लेकिन वित्त मंत्री के पिटारे से इस बार भी कुछ नहीं निकला. इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया यानि टैक्स में छूट की सीमा पहले की तरह ढाई लाख रुपये ही है. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख कमाने वालों को 10 फीसदी, पांच से 10 लाख रुपये कमाने वालों को 20 फीसदी और 10 लाख से ज्यादा कमाने वालों को 30 फीसदी टैक्स लगता है.
सर्विस टैक्स बढ़ने से जेब ढीली
मोदी सरकार ने सर्विस टैक्स को 14.5 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया है–अब इस पर आधा फीसदी किसान कल्याण कर वसूला जाएगा. यानि मीडिल क्लास को राहत तो नहीं मिली लेकिन बोझ जरूर बढ़ा दिया है–इसका मतलब ये हुआ है कि रेस्टोरेंट में खाना-पीना हो या फिर फोन, मोबाइल, बिजली के बिल या फिर और दूसरी सेवाएं–इस पर अब आपको ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी.
डिविडेंड ड्रिस्ट्रीब्यूशन टैक्स लगेगा
वित्त मंत्री ने बजट में एलान किया है कि अगर किसी शेयरधारक का डिविडेंड यानि लाभांश दस लाख रुपये या उससे ज्यादा है तो उसे अपनी आय पर 10 फीसदी टैक्स देना होगा. अगर आपने किसी कंपनी के शेयर खरीद रखें हैं और उससे आपको सालाना 10 लाख की आमदनी हो रही है तो आप इसके दायरे में आ जाएंगें. यानि यहां भी आपकी जेब पर कैंची चलाई गई है.
छोटे करदाताओं को मामूली राहत
हालांकि वित्त मंत्री ने छोटे करदाताओं पर थोड़ी मेहरबानी जरूर दिखाई है. सालाना पांच लाख इनकम वालों को तीन हजार रुपए की अतिरिक्त छूट दी गई है. इसके साथ ही हाउस रेंट की छूट 24000 से बढ़ाकर 60000 रुपए कर दी गई है. इस छूट को इस तरह से समझ सकते हैं जिन कर्मचारियों को कंपनी हाउस रेंट अलाउंस यानि एचआरए नहीं देती है तो सरकार मकान किराया 24 हजार मानकर टैक्स में छूट दे रही थी. अब सरकार ने ने ये छूट 60 हजार रुपये तक बढ़ा दी है.
वित्तमंत्री ने कहा कि छोटे टैक्सपेयर को राहत देने के लिए हाउस रेंट की छूट बढ़ाई जा रही है. इस बजट में पहली बार मकान खरीदने वालों को भी छूट दी गई है. पहली बार मकान खरीदने वालों के लिए 35 लाख तक के कर्ज पर 50 हजार रुपये ब्याज छूट दी गयी है बशर्ते मकान 50 लाख तक की होनी चाहिए.