उदयपुर, । पुलिस कप्तान आलोक वशिष्ठ की कुशल कार्यशैली के बावजूद शहर पुलिस असामाजिक तत्वों पर अंकुश लगाने में नाकाम रही है। बढती चोरी की वारदाते,राह चलते राहगीरों से लूटपाट, बदमाश ऑटो चालको की बदसलुकी, चैन स्नेचिंग, प*र्जी पुलिस बनकर लूटने का प्रयास जैसी घटनाएं पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगा रही है।
इन दिनों उदयपुर के वाशिन्दे तो यहां तक कहने लगे कि लगता है कि ’’पुलिस ने शहर चोरो के हवाले कर दिया है।’’ आये दिन लूटपाट की घटना के साथ साथ दिन दहाडे चोरी की वारदाते बढ रही है। अधिकतर स्थानिय निवासियों के साथ साथ पर्यटक भी अत्यधिक इन असमाजिक तत्वों के शिकार हो रहे है। शहर के गर्भस्थल एवं प्रसिद्घ जगदीश चौक क्षेत्र में इन दिनों खुलेआम मादक पदार्थो की बिक्री हो रही है। इस अवैध धंधे में १० से १५ वर्ष के मासुम बच्चे लिप्त है। ब्राउन शुगर, अप*ीम, हीरोइन की पुडिया इस क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध है। झील किनारे के इस क्षेत्र में होटल व रेस्टोरेंटों की भरमार है। अधिकतर विदेशी पर्यटको का जमावडा इसी क्षेत्र में रहता है। अवैध धंधो मे लिप्त बडे सरगनाओं ने इस कारोबार में मासुम बच्चों को भी नहीं बक्क्षा है।
जगदीश चौक, राव जी का हाटा, गुलाब बाग, चांदपोल, गणगौर घाट इत्यादि क्षेत्रों में सायं ६ बजे बाद अनेको गरदुल्लों का जमघट देखने को मिलता है। क्षेत्रवासियों ने अनेकों बाद गरदुल्लों को पकड पुलिस के हवाले किया पर पुलिस एक-दो घंटे में उन्हे आप*त समझ कर छोड देती है। पुलिस अधीक्षक की पदोन्नति के पश्चात संभवत: एस.पी.शहर में घटित अपराधिक घटनाओं पर विशेष ध्यान नहीं दे रहे है।