उदयपुर। अदालत ने गुरूवार को न्यायालय आदेश की अवमानना प्रकरण में निर्णय देते हुए तत्कालिन नगर विकास प्रन्यास अध्यक्ष सहित तीन जनों को दो माह के कारावास की सजा सुनाई।
प्रकरण के अनुसार परिवादी दया लाल चौधरी ने अदालत में परिवाद दिया था कि उसके पिता धनराज चौधरी का सवीना में तीस गुणा बीस वर्ग फिट का एक भूखण्ड है जिसको अवैध निर्माण बताते हुए यूआईटी निर्माण नहीं करने दे रही थी जिस पर २६ जुलाई २००३ को परिवादी अदालत से स्थगन आदेश लेकर आया। अदालत के निर्णय के विरूद्घ यूआईटी ने जिला सत्र न्यायालय में अपील दायर की जहां से न्यायालय ने निचली अदालत के निर्णय को यथावत रखते हुए यूआईटी की अपील खारिज कर दी। परिवादी ने न्यायालय को बताया कि यूआईटी ने अदालत के आदेश की अवमानना करते हुए १४ जून २००६ को उक्त भूखण्ड पर निर्मित एक एसटीडी बूथ, बाउण्ड्रीवाल एवं एक कोटडी को जबरन ध्वस्त कर दिया था। परिवादी ने इस मामले में तत्कालिन यूआईटी अध्यक्ष शिव किशोर सनाढय, यूआईटी सचिव उज्जवल राठौ$ड तथा तत्कालिन कार्यवाही तहसीलदार मुकेश जानी, जिला कलेक्टर शिखर अग्रवाल, एडीएम सिटी राजीव जैन तथा तत्कालिन सहायक आयुत्त* देवस्थान मुकेश बारहठ को मुल्जिम बनाया।
अदालत ने आज अपने पै*सले में यूआईटी अध्यक्ष सनाढय, सचिव राठौड तथा कार्यवाही तहसीलदार जानी को मामले में दोषी करार देते हुए दो माह के सिविल कारावास की सजा सुनाई। शेष तीन को दोषी नहीं मानते हुए बरी कर दिया।
पूर्व यूआईटी अध्यक्ष सहित तीन को २ माह का कारावास
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