नई दिल्ली। घरेलू गैस सब्सिडी के सीधे बैंक खातों में ट्रांसफर से सरकार को 12 हजार 7 सौ करोड़ रुपए की बचत के सरकार के दावे पर एक एक रिसर्च संस्थान ने सवाल उठाए हैं। संस्थान का कहना है कि सब्सिडी के खातों में सीधे हस्तांतरण से होने वाली बचत का सरकार का अनुमान ओवरऐस्टीमेट जैसा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनैबल डवलपमेंट (आईआईएसडी) के मुताबिक 2014-15 में इस स्कीम के लागू होने के बाद सरकार का 12,700 करोड़ रुपए बचत का दावा गलत है उसे इसके मुकाबले महज 143 करोड़ रुपए की बचत हुई है।
स्टडी के लेखक कीरन क्लार्क का कहना है कि हमारी स्टडी से यह पता चलता है कि पिछले साल सब्सिडी के नकद हस्तांतरण से होने वाली बचत का अनुमान बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया आंकड़ा है।
सरकार की ओर से इस बचत के बारे में कोई आधिकारिक दस्तावेज जारी नहीं किया गया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन कई बार यह दोहरा चुके हैं।
एनडीए सरकार ने नवंबर मध्य 2014 में देश में 54 जिलोंं में एलपीजी गैस सब्सिडी के नकद हस्तांतरण की योजना शुरु की थी।
इसके बाद जनवरी 2015 में इसे देश के सभी जिलों में लागू किया गया। सबसे पहले यूपीए सरकार ने यह योजना शुरु की थी, लेकिन फरवरी 2014 में इस योजना को निलंबित कर दिया गया था।
आईआईएसडी ने इस योजना को दुनिया की सबसे बड़ी नकद सब्सिडी हस्तांतरण योजना बताया है। रिपोर्ट के मुताबिक अरविंद सुब्रमण्यन का कहना है कि 12,700 करोड़ की बचत 2014-15 के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि हम नहीं जानते कि इस साल कुल कितनी एलपीजी गैस का उपभोग होगा।