शिक्षा देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे – उपेन्द्र कुशवाहा
समाज निर्माण का जिम्मा शिक्षा पर – उपेन्द्र कुशवाहा
10 को उत्कृष्ट सेवा सम्मान तथा 8 को विशिष्ट सेवा सम्मान से नवाजा
उदयपुर | में पंडित नागर द्वारा स्थापित विद्यापीठ आदिवासी तथा वंचित वर्ग के लिए शैक्षिक व सामाजिक विकास में लगी हुई है। यह कहा जा सकता है कि शिक्षा आदर्श समाज के पुनर्गठन के लिए तथा प्रगति सुनिश्चित करने के लिए आधारभूत आवश्यकता है यही शिक्षा का वास्तविक उद्ेश्य है। वर्तमान में कई चुनौतियां है। आज जरूरत है समाज के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा मिले लेकिन यह तभी संभव है जब शिक्षा को स्किल डवलपमेंट ;कौशल विकासद्ध के साथ जोड़ें। इसके लिए जरूरत है रोजगारोन्मुख शिक्षा की। शिक्षा का मूल उद्ेश्य मनुष्य की आत्मा और उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को निखारना है और अभिव्यक्ति के लिए समर्थ बनाना है। व्यक्ति को साक्षर एवं प्रबुद्ध बनाते हुए जिविकोपार्जन के लिए तैयार करना है। यह कहना है केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा का। अवसर था जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय का 28 वां स्थापना दिवस।
नई शिक्षा नीति शीघ्र:-
उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि देश में नई शिक्षा नीति जल्दी ही लागू की जायेगी। यह शिक्षा नीति स्किल डवलपमेंट के आधार पर होगी। यह नीति दिल्ली में बैठ कर नहीं बल्कि गांवों में जाकर उनकी राय के आधार पर इस नीति को बनाई जायेगी। इसमें सभी वर्गो का सहयोग लिया जायेगा। नई शिक्षा में क्वालिटी एज्यूकेशन पर जोर दिया जायेगा तथा स्कील डवलपमेंट के नाम से नया मंत्रालय बनाया जायेगा।
प्रो. सीपी अग्रवाल ने बताया कि समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति एचसी पारीख ने कहा कि यह दिवस बिते वर्षो में किये गये कार्यो का मूल्यांकन तथा नवीन दायित्वों का बोध कराने का है। और हमारी भूमिका को फिर से परिभाषित करने का सामय है। समारोह के प्रारंभ कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विद्यापीठ के इतिहास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संस्थापक मनीषी जनार्दनराय नागर तीन रूपये उधार लेकर व तीन कार्यकर्ताओं के साथ इसकी स्थापना की है और आज विद्यापीठ ने वट वृक्ष का रूप ले लिया है। उन्होने कहा कि विद्यापीठ की नई पीढी से मेवाड के ग्रामीण समुदाय के काम हाथ में लेते हुए जनुभाई के सपनो को साकार करने की बात कही। रंगकर्मी व फिल्म अभिनेता मनोज जोशी ने कहा कि देश एवं समाज को आगे बढाने के लिए मूल्यपरक शिक्षा की आवश्यकता है। शिक्षा से समाज व राष्ट्र का निर्माण होता है। आज हमे विवेकानन्द एवं महात्मा गांधी के आदर्शो को अपनाने की जरूरत है। उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा ने कहा कि व्यक्ति को समाज का आदर्श एवं अच्छा नागरिक बनाने में शिक्षा की प्रमुख भूमिका रहती है। और शिक्षा का उद्ेश्य व्यक्ति के मानसिक विकास से ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण समाज के विकास से जुडा है। पं. नागर ने मेवाड के आदिवासी अंचल में महिला एवं प्रौढ़ शिक्षा की स्थापना की थी। समारोह में विशिष्ठ अतिथि राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर के अति. एडवोकेट जनरल डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी, एमडीएस विवि अजमेर के कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी,, प्रो. शिव राज तथा रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किए। समारोह का संचालन डॉ. हीना खान तथा डॉ. धीरज जोशी ने किया जबकि धन्यवाद जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल ने दिया। समारोह में पूर्व कुलपति डॉ. लोकेश भट्, प्रो. एन.एस.राव, प्रो. एसके मिश्रा,, डॉ.हेमशंकर दाधीच, डॉ. धमेन्द्र राजोरा, प्रो. जीएम मेहता, डॉ. राजन सूद, डॉ. मनीष श्रीमाली सहित शहर के गणमान्य नागरिक, विद्यापीठ कार्यकर्ता एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
इनको मिला विशिष्ठ सम्मान:-
रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल ने बताया कि विवि स्थापना दिवस पर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले फिल्म ( भागम भाग, हेराफेरी, हलचल, विवाह कलाकार इंडियन टेली एवं अप्सरा पुस्कार से सम्मानित मनोज जोशी को कला कीर्ति , कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी को शिक्षा भागीरथ, अति. एडवोकेट जनरल डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी कानून कोहिनूर, साहित्यकार डॉ. महेन्द्र भाणावत को लोककला सुमेरू, अनंत गणेण त्रिवेदी को शांति सारथी, अजुन मीणा को समाज सेतु सम्मान, शिवराज को समाज विभूति, सुश्री अपूर्वी जोशी को क्रीड़ा कीर्तिकेतु सम्मान से सभी सम्मानित अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।
इनको मिला उत्कृष्ट सेवा सम्मान:-
स्थापना दिवस पर विद्यापीठ में श्रेष्ठ कार्य करने वाले प्रो. पीके पंजाबी, डॉ. मंजू मांडोत, प्रो. मुक्ता शर्ता, डॉ. सुमन बाला, डॉ. हरीश शर्मा, अरूण पानेरी, के.एल. वैष्णव, इकबाल हुसैन, बालकृष्ण शुक्ला, कालू सिंह एवं भीमराज डांगी को उत्कृष्ट सेवा सम्मान से अलंकिृत किया गया।