उदयपुर। शहर भर में दीपोत्सव पारम्परिक धूम धड़ाके और हर्शोल्लास के साथ मनाया गया और गुरूवार को दिवाली शुक्रवार को खेखरा और शनिवार को दीपोत्सव के अंतिम दिन भाई-दूज का पर्व हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। गुरूवार को दीपावली पर शहर सहित उपनगरों के बाजारों में खासी रोशनी की गई। रोशनी देखने पूरा नगर उमड़ पड़ा। बाजारों में रात नौ बजे बाद खासी भीड़ रही। विभिन्न व्यापार संगठनों की ओर से लोगों के मनोरंजन के लिए विविध आयोजन भी किए गए।
भाई दूज पर बहनों ने भाइयों को सपरिवार अपने घर खाने पर आमंत्रित किया है, जहां दोपहर में या शाम को भाई बहन के यहां जाएंगे और भोजन के बाद इच्छानुसार बहन को भेंट देंगे।
दीपावली पर उमड़ी भीड़ : दीपावली पर बाजारों बापूबाजार, सूरजपोल , बड़ा बाजार , भटियानी चोहट्टा में खासी भीड़ रही लक्ष्मी माता के मंदिर पर श्रद्धालुओं की सुबह से भीड़ रही। दिवाली के दिन भी खरीदारी के लिए शहर के अंदरुनी बाजारों में खासी भीड़ रही। शाम को शुभ मुहूर्त में व्यवसायियों ने अपने अपने प्रतिष्ठानों पर तो घरों में भी धन-धान्य से भरपूर रखने की आकांक्षा को लेकर माता महालक्ष्मीजी की पूजा-अर्चना की गई। महालक्ष्मीजी का पूजन कर नानाविध मिष्ठानों का भोग लगाया गया। घर-आंगन में रंग-बिरंगी रोशनी और मिट्टी के दीयों से रोशन कर खुशियां मनाई गई। लोगों ने एक-दूसरे का मुंह मीठाकर दीपोत्सव की शुभकामनाएं दीं। घरों में स्थिर लग्न तो व्यवसाय स्थलों पर चर लग्न में पूजन किया गया। परंपरागत गेरु का स्थान जहां पेंट ने ले लिया, वहीं समयाभाव के कारण रंगोली, माता महालक्ष्मीजी के पगल्ये आदि के स्टीकर लगाए गए।
खूब बिकी ये सामग्री भी: सूरजपोल पुलिस चौकी के पास कमल पुष्प, सीताफल, बेर, चावल और धान की फुल्ली व चाशनी से बने खिलौनों की खूब बिक्री हुई। घर-दुकानों की सजावट के लिए आसा पाल सहित गेंदे के फलों की बंदनवार का भी जोरदार उठाव रहा। दीये, नए कपड़े, रंगोलियां और सजावटी लाइट्स की खूब खरीदारी हुई। बाजार में सोने व चांदी के सिक्कों की खरीदारी की गई। इस बार पिछले साल के मुकाबले गेंदे के फूलों की माला के भाव बढ़ गए। गत वर्ष जो माला 10 रुपए की थी, उसके इस बार 20 से 30 रुपए तक वसूले गए।
आतिशबाजी की खरीद में दिखा उत्साह : शहर के बाजारों में सजे आतिशबाजी के काउंटरों पर दिनभर युवाओं और अभिभावकों के साथ आए बच्चों का तांता लगा रहा। युवा जहां जोरदार धमाके करने वाले सुतली और चमकीले बमों के साथ आकाश में जाकर रंगबिंरगी रोशनी करनेवाले पटाखे खरीदते नजर आए, वहीं बच्चों को जमीन चक्कर, अनार, फुलझडिय़ां और अन्य पटाखे खूब रास आए। इसके अलावा राकेट, एक बार चलाने पर २५ से लेकर ६० बार धमाके करने वाली आतिशबाजी की बिक्री भी चरम पर रही। कॉलोनियों में बच्चों ने सुबह से घरों की छतों पर चढ़कर पटाखे छोडऩा शुरू कर दिया, तो उन्हें पटाखे छोडऩे से रोकना महिलाओं के लिए मुश्किल हो गया। घरों-दुकानों पर भी भव्य सज्जा की गई। पूजन से पूर्व महिलाओं ने घरों में दीए प्रज्ज्वलित किए। उसके बाद पास के देवालयों, मंदिरों में भी दीए रखे गए। फिर पूजा की गई। शाम होते ही मानों बच्चों को मनचाही खुशी मिल गई। बच्चों ने जमकर पटाखे फोड़े। अभिभावक भी सुरक्षा के मद्देनजर उनके साथ ही रहे।
गोवर्धन पूजा: खेंखरे पर महिलाओं ने घर के बाहर गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा अर्चना की। मंदिरों में अन्नकूट के आयोजन हुए। शहर के अस्थल मंदिर, जगदीश मंदिर, श्रीनाथजी मंदिर सहित विविध स्थानों पर अन्नकूट का भोग धराकर श्रद्धालुओं में वितरित किया गया। फिर रामा-श्यामी का दौर चला, जो देर रात तक जारी रहा। मावे की मिठाइयों से दूर रहे शहरवासियों ने आने वाले मेहमानों की खातिरदारी ड्राई फ्रूट्स से ही की।
दीपोत्सव के अंतिम दिन आज भाई दूज भी परम्परा के अनुसार मनाया गया बहनों ने भाई का सत्कार किया और आरती कर उनकी लंम्बी उम्र की प्रार्थना की