देवास का सपना अभी भी अधूरा

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0उदयपुर | भले ही बजट सात महीने का है, लेकिन मेवाड़ इसलिए उम्मीदें संजोए बैठा था कि विधानसभा में 28 में से 25 और लोकसभा में चारों सीटें भाजपा को दी थीं। ज्यादातर चेहरे भी नए थे। मेवाड़ की २५ साइट लाने का श्रेय काफी हद तक मेवाड़ के नेता एवं कैबिनेट मंत्री गुलाबचंद कटारिया को भी जाता है और कटारिया के महत्वाकांक्षी देवास प्रोजेक्ट के तीसरे चरण के लिए इस बजट में कुछ भी नहीं मिला। सिवाय दूसरे चरण के लगभग हो चुके काम को इसी साल में पूरा करवाने पर बल देने के। अभी देवाद ३ और ४ चरण मुख्य थे लेकिन उसके लिए मेवाड़ को कुछ नहीं मिला |

क्या है देवास परियोजना :
देवास प्रथम प्रोजेक्ट के तहत अलसीगढ़ की पहाडि़यों में 34 फीट पूर्ण भराव क्षमता वाला बांध बनाया गया। इसका पानी झीलों में लाने के लिए करीब सवा दो किलो मीटर लंबी टनल बनाई गई। पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिया ने शहर में भविष्य की पेयजल व्यवस्था के लिए इस प्रोजेक्ट की कल्पना की थी। वर्ष 1974 में बने प्रोजेक्ट की कुल लागत 206 करोड़ 66 लाख आई। सिंचाई विभाग जलदाय विभाग ने मिलकर यह खर्च वहन किया।
वर्ष 2006 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 379 करोड़ है। प्रोजेक्ट में 85 एमसीएफटी भराव क्षमता वाले मादड़ी डैम, 302 एमसीएफटी भराव क्षमता वाले आकोदड़ा बांध,1.2 किमी लंबी लिंक टनल 11.05 किमी लंबी मैन टनल शामिल है।
देवास प्रोजेक्ट 3 4 के तहत गोगुंदा क्षेत्र में नाथियाथल अंबावा क्षेत्र में 500, 500 एमसीएफटी भराव क्षमता के दो बांध प्रस्तावित हैं। देवास 4 का पानी 3 तक लाने 4.3 किमी लंबी सुरंग (टनल) बनेगी। देवास 3 का पानी देवास 2 आकोदड़ा बांध तक लाने 11.04 किमी लंबी सुरंग बनेगी। इस सुरंग से पानी ग्रेविटी (प्राकृतिक प्रवाह) से देवास 2 के तहत बन रहे आकोदड़ा बांध में आएगा। यहां से पानी देवास 2 की मुख्य सुरंग से होता हुआ झीलों तक पहुंच सकेगा। प्रोजेक्ट की ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार करने का काम अंतिम चरण में है।

प्रोजेक्ट पूरा होने पर आकोदड़ा मादड़ी बांध का पानी एक साथ शहर की झीलों की आेर डायवर्ट किया जा सकेगा। दूसरी तरफ देवास प्रथम बांध का पानी भी साथ-साथ आएगा। पहले पीछोला भरेगा,उसके बाद फतहसागर और इन दोनों के ओवरफ्लो होने पर पानी उदयसागर होता हुआ वल्लभनगर बड़गांव बांध तक भी पहुंचेगा। अतिरिक्त आवक होने से यह पानी बीसलपुर बांध तक भी पहुंचाया जा सकेगा। तीनों बांध नदी पर बने हुए हैं एेसे में इनमें एक सीमा तक पानी का स्टोरेज भी रहेगा, जो झीलों की ओर डायवर्ट किया जा सकेगा।

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