उदयपुर , जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के संस्थापक मनीषी पं. जनार्दराय नागर की 103वीं जयंति की पूर्व संध्या पर राजस्थान विद्यापीठ एवं कुल कर्मचारी संघ की ओर से उनके द्वारा रचित ग्रंथों का पूजन कर उनकी प्रतिमा पर दुग्धाभिषेक कर पुष्पांजलि अर्पित की व उनकी याद में 501 दीप संजोये। इस अवसर पर कुलाधिपति प्रो. भवानीषंकर गर्ग ने कहा कि पं. नागर बहुभाषा विद्, समाजसेवी, कुषल राजनेतिक, सारगर्भित वक्ता ओर सबसे उपर एक श्रेष्ठ मानव नेतिक एवं मानवीय मूल्यों के तपस्वी थे। कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि हमारे देष के स्वाधीनता संग्राम में जिन साहित्यकारेां ने जनता में नवजागरण की चेतना जगा कर अपनी देष भक्ति, राष्ट्रीय चेतना का अदम्य साहस का परिचय दिया उसमें मेवाड की वीर भूमि उदयपुर के मनीषी पं. नागर का नाम उल्लेखनीय है। संघ के महामंत्री आषीष एस. नन्दवाना ने बताया कि कार्यकर्ताओं ने उनके बताये हुए मार्ग पर चलते हुए विद्यापीठ के उत्तरोत्तर विकास में सहयोग देने की शपथ ली। इस अवसर पर कुल सचिव सुभाष बोहरा, रियाज हुसैन, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी, डॉ. दिलिप सिंह, डॉ. संजीव राजपुरोहित, घनष्याम सिंह भीण्डर, कृष्णकांत नाहर ने भी अपने विचार व्यक्त किए। समारोह में आरीफ मोहम्मद, रामलाल, नजमुद्दीन, प्रकाष जादोन सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
पं. नागर की जयंति की पूर्व संध्या पर किया दुग्धाभिषेक एवं दीपदान
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