महिला प्रदर्शनकारियों ने लिखित में शिकायत दर्ज करायी है कि पुलिसकॢमयों ने एक अफसर के इशारे पर, उनके ’’गुप्तांगों’’ में ’’डण्डा’’ घुसाया।
उदयपुर। पंछी समझते है कि गगन बदल गया,
गुल समझते है चमन बदल गया ,
मेहमाने शमशान की ख़ामोशी कहती है ,
नहीं। ……. लाश वही है सिर्फ कफ़न बदल गया ।
इन्ही अल्फ़ाज़ों को अंजाम देती हमारे देश की नयी हुकूमत मुल्क की सियासी फ़िज़ाओं को खुशबु से लबरेज़ करने का दम्भ भर रही है । दम्भ के इसी अहंकार के मध्य देश की निगहबाँह संसद के समीप ही “खाकी” वाले गुंडे मात्र शक्ति को लज्जित कर अपनी मूंछों को ताव दे रहे है।
अफ़सोस इस बात का है कि इतनी बड़ी शर्मनाक घटना के बावजूदnaa तो किसी नेता ने इस सम्बन्ध में पीड़ित महिलाओं की सुध ली ना ही मीडिया ने पुलिस के इस दुस्साहसko उजागर करने की तकलीफ की । ऐसी घटना और भी दुखद होजाती है जब देश नरेंद्र मोदी जैसे प्रधान मंत्री और राजनाथ सिंह जैसे दबंग गृह मंत्री के नेतृत्व में एक नयी सुबह का इंतज़ार कर रहा है ।
यह थी घटना :
वर्दीधारी पुलिस कर्मियों द्वारा सदमा पहुंचाने वाले यौन आक्रमण की घटना बुधवार को हुई है जिसमें पुलिस कर्मियों द्वारा महिलाओं के गुप्तांगों में कथित रुप से लाठियां डाली गईं। यह घटना किसी दूर दराज गांव में नहीं बल्कि यहां पार्लियामेंट स्ट्रीट पर संसद भवन से कुछ ही दूर नई लोकसभा के सत्र के शुरु होने के दिन हुई है। इन महिलाओं में से कई दलित समुदाय की थीं जो धरना प्रदर्शन कर रही थी।
यह प्रदर्शन पुलिस द्वारा जंतर मंतर पर धरना दे रहे हरियाणा के भागाना गांव के दलितों के एक समूह को हटाने के विरोध में किया जा रहा था। जंतर मंतर राजधानी में प्रदर्शनों का स्थल है। गत एक माह से ये ग्रामवासी चार अल्पायु लडकियों के अपहरण एवं सामूहिक बलात्कार के विरोध में धरना दे रहे थे। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि प्रदर्शनकारी पुलिस थाने के प्रभारी से मिलना चाहते थे तब पुलिस कर्मियों ने उन्हें धक्के देना तथा ’’महिलाओं के गुप्तांगों को पकड कर तथा अपने हाथ उनके गुदा क्षेत्र में डालकर’’ निशाना बनाना शुरु कर दिया।
जहां कुछ पुलिस वालों ने भागाना समूह से हरियाणवी में कहा कि बेहतर होगा कि चले जाएं और परेशानी पैदा नहीं करें, वर्दी पहने किन्तु नाम की पट्टी नहीं लगाए हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी थाने से बाहर आया और चिल्लाया, ’’अरे ये ऐसे नहीं मानेंगे इनकी —— लाठी घुसाओ’’
ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि इसके बाद जो कुछ हुआ वह वर्दीधारी पुरुषों तथा ४-५ वर्दीधारी महिला पुलिस कर्मियों द्वारा महिलाओं पर यौन आक्रमण का घिनौना दृश्य था। उनमें से एक महिला पुलिस कर्मी सुमन डी को छोडकर किसी ने भी नाम का बैज नहीं लगा रखा था और उसने भी कुछ मिनिट बाद उसे हटा दिया। ’’हम उस अधिकारी सहित, जिसने यौन आक्रमण का आदेश दिया था, यदि सबको नहीं तो कुछ को चेहरे से पहचान सकते हैं।’’
पुलिस कर्मियों को बर्खास्त करने के लिए ज्ञापन :
एक एनजीओ ’वीमन अगेंस्ट वायलेंस एण्ड स्टेट रिप्रेशन’ द्वारा दिल्ली पुलिस को सौंपे गए दो पृष्ठ के ज्ञापन द्वारा प्रकाश में लाई गई है। एनजीओ ने आरोपी कर्मियों को सेवा से तुरंत बर्खास्त किए जाने तथा क्रिमिनल लॉ (अमेंडमेंट) एक्ट २०१३ की धारा ३५४ के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
इस ज्ञापन में पुलिस अधिकारी के विरुद्घ धारा ३७६ सपठित धारा ५११ (बलात्कार का प्रयास) के अंतर्गत कथित रुप से वर्दीधारी पुलिस कर्मियों को प्रदर्शनकारियों के गुप्तांगों में लाठी घुसाने का आदेश देने के लिये मुकदमा दर्ज करने की भी मांग की गई।
पुलिस की यौन क्रूरता के शिकारों में सक्रिय कार्यकर्ता एडवोकेट, समाजवादी जन परिषद की पायोली स्वतीजा, राष्ट्रीय दलित महिला आंदोलन की सुमेधा बौध, राखी नामक एक महिला तथा पालियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन पर प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही बलात्कार की शिकार दो महिलाओं की माताएं शामिल हैं।
ज्ञापन में पुलिस आयुक्त को ताना दिया गया कि वे पुलिस अधिकारियों तथा कर्मचारियों को ’’जेंडर सेंसिटिव पुलिसिंग’’ (लैंगिक संवेदनशीलता से पुलिस का कार्य करना) में प्रशिक्षित करने की प्रचार के लिये की जाने वाली कवायद पर करदाता का पैसा बर्बाद करना बंद करें और बेहतर होगा कि वे ’’इस अपराध के आरोपी कर्मियों के विरुद्घ तत्काल सख्त तथा अनुकरणीय कार्रवाई’’ करें।
सोर्स – राष्ट्रदूत – दिल्ली ब्यूरो