दहेज यातना के मामले में सुलह कराने के लिए मांगी पांच हजार की रिश्वत
मनीष गौड़
उदयपुर। शहर के अंबामाता थाने का एएसआई Èतहसिंह क्रमददगारञ्ज के स्टिंग ऑपरेशन में रिश्वत की मांग करते हुए कैमरे में कैद हो गया है। इस एएसआई ने दहेज यातना के मामले में दोनों परिवारों में सुलह कराने के लिए अंबामाता थाने में पैरवी करने पहुंचे वकील के समक्ष यह डिमांड रखी। हालांकि यह एएसआई जब Èरियादी थाने में गया, तभी रिपोर्ट दर्ज करने के नाम पर एक हजार रुपए पहले ही ले चुका था। इस मामले में एसीबी ने भी एएसआई के लिए जाल बिछाया था, लेकिन यह चालाक एएसआई ट्रेप से बच गया।
सूत्रों के अनुसार सज्जननगर रोड निवासी मोहन पुत्र भैरूलाल भील ने अंबामाता थाने में अप्रैल माह में रिपोर्ट दी, जिसमेें बताया गया कि उसकी बेटी सीमा की शादी पड़ोसी युवक दिनेश से करवाई गई थी। सीमा के नौ माह की बच्ची है। शादी के बाद से ससुराल में सीमा को दहेज लाने के लिए यातनाएं दी जाने लगी। छह माह पूर्व सीमा ससुराल छोड़कर पीहर आ गई। इस बात को लेकर ससुराल व पीहर पक्ष में झगड़ा हुआ था, लेकिन समाज की बैठक में समझौता हो गया। उसके बाद सीमा पीहर से ससुराल चली गई, लेकिन Èिर भी सीमा पर ससुराल में जुल्म जारी रहे। परेशान सीमा Èिर से पीहर आ गई। अंबामाता थाने में यह रिपोर्ट दर्ज करके अनुसंधान एएसआई Èतहसिंह को सौंपा गया। रिपोर्ट लेते समय ही Èतहसिंह ने एक हजार रुपए सीमा के पिता मोहन से ले लिए। दो दिन बाद Èरियादी पक्ष को बुलाया गया। बयान लिए गए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इस पर Èरियादी मोहन थाने गया और दोनों पक्षों में सुलह कराने की गुहार की। एएसआई Èतहसिंह ने सुलह कराने की एवज में पांच हजार रुपए की मांग की। इस दौरान Èतहसिंह पांच हजार रुपए की डिमांड करते हुए कैमरे में कैद हो गया।
एसीबी के ट्रेप से बच गया एएसआई : इस मामले की शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में भी की गई। एसीबी ने जाल भी बिछाया, लेकिन इस चालाक एएसआई को एसीबी द्वारा बिछाए गए जाल की भनक लग गई और एसीबी का ट्रेप प्लान विÈल हो गया।
॥ यह मेरे खिलाÈ साजिश है। मैंने किसी से भी पांच हजार रिश्वत की डिमांड नहीं की है। वीडियो में मैं दिख रहा हूं, लेकिन यह गलत है। -Èतहसिंह, एएसआई।
॥ ऐसी कोई शिकायत मेरे पास नहीं आई है। Èरियादी ऐसा कोई वीडियो मेरे सामने पेश करेगा, तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी। -अजयपाल लांबा, एसपी उदयपुर।
कैमरे में रिकार्ड
हुई बातचीत
॥ मददगार : साहब मोहन भील वाले मामले में क्या करना है?
एएसआई : मैं क्या बताऊं।
॥ मददगार : आप ही बता दो, जो भी हो। मामला जल्दी से जल्दी निबटाना है।
एएसआई : कांस्टेबल मोहन से बात कर लेना, वो जो बताए, वो कर देना।
॥ मददगार : मुझे आप पर भरोसा है। आप ही बता दो। क्या करना है?
एएसआई : लेन-देन की जो भी बात है, वो कांस्टेबल मोहन ही देखता है। उससे ही बात कर लेना।
॥ मददगार : आप ही बता दो। आपको क्या देना है?
एएसआई : पांच हजार रुपए दे दो। आपका काम हो जाएगा।
॥ मददगार : समझौता तो हो जाएगा?
एएसआई : हम तो ऐसे आदमी है कि समझौता हो जाए, उसके बाद रुपया देना।