उदयपुर. इस सीजन में लेकसिटी का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के इर्द-गिर्द है। सूरज आंखें तरेर रहा है और दोपहर में गर्मी असहनीय होती जा रही है। ऐसे में हीट स्ट्रोक (ताप घात) का खतरा बढ़ गया है। डॉक्टर भी मान रहे हैं कि बढ़ती गर्मी के साथ शरीर का टेंपरेचर कंट्रोल सिस्टम का गड़बड़ा सकता है। एमबी अस्पताल के आउटडोर में आने वाले मरीजों की संख्या भले ही नहीं बढ़ी, लेकिन जो मरीज आ रहे हैं, उनमें सबसे ज्यादा गर्मी से होने वाली बीमारियों के हैं। इन्हें इलाज के साथ हीट स्ट्रोक से बचने और खास एहतियात बरतने की सलाह दी जा रही है।
हीट एक्टॉर्शन
तेज गर्मी के समय जब दोपहर में बाहर निकलते हैं तो शरीर में पानी की कमी होने लगती है। ऐसे में कुछ ही देर में प्यास लगने लगती है। इस स्थिति को हीट एक्टॉर्शन कहते हैं। इसे ठीक होने में एक से तीन घंटे लग जाते हैं।
ऐसे बचें
थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें। इससे डिहाइड्रेशन नहीं होगा। पसीने में ठंडा पानी या पेय पीने से बचें। ताकि सर्द-गर्म न हो।
तापमान बढऩे के साथ ऐसे पड़ता है सेहत पर असर
हीट स्ट्रोक
तापमान के 40 डिग्री छू जाने पर हीट स्ट्रोक की स्थिति पैदा हो सकती है। इसमें शरीर का टेंपरेचर कंट्रोल सिस्टम गड़बड़ होने लगता है। इस तापमान पर यदि कोई शारीरिक श्रम कर ले, जिसका वह आदी न हो तो उसे हीट स्ट्रोक जल्दी चपेट में ले लेता है। कारण, ज्यादा तापमान पर अधिक शारीरिक श्रम से वाटर लॉस अधिक तेजी से होता है। इसे लू लगना भी कहते हैं। इसमें चक्कर आना, जी मिचलाना जैसी तकलीफें होने लगती हैं।
ऐसे बचें
वाटर स्पंजिंग व वेंटिलेशन ही हीट स्ट्रोक का उपाय है। वाटर स्पंजिंग में ठंडे पानी के कपड़े से शरीर को पोंछें और वेंटिलेशन के लिए मरीज को हवादार स्थान पर सुलाएं। ज्यादा परेशानी होने पर नमक-चीनी का घोल दें और तुरंत अस्पताल या डॉक्टर को दिखाएं।
ब्रेन टिश्यू डेमेज
डॉक्टर बताते हैं कि तापमान के 44 छू जाने या उससे पार हो जाने पर ब्रेन टिश्यू डेमेज होने का खतरा रहता है। इतने उच्च तापमान पर बहुत देर तक लगातार धूप में रहने से यह स्थिति हो सकती है। इससे शरीर का टेंपरेचर कंट्रोल सिस्टम फेल हो जाता है। दिमाग के प्रोटीन डीनेचर (विकृत) हो जाते हैं। फिर ये सामान्य स्थिति में नहीं आ पाते। समय रहते इलाज न हो तो यह स्थित जानलेवा हो सकती है।
ऐसे बचें
अधिक तापमान के वक्त धूप में निकलने से बचें। चाय-कॉफी के बजाय शरबत, छाछ, लस्सी, नींबू पानी पीएं। बाहर जाते वक्त टोपी, छतरी, हेलमेट व सर पर गीला कपड़ा रखें। बाजार की तली-गली चीजों से बचें। हलका आहार ही लें, जो जल्दी पच सके।
हेल्थ टिप्स
तेलीय पदार्थों के बजाय पेय पदार्थ ज्यादा लें। जल्दी पचने वाला भोजन करें।
कमजोर इम्यून सिस्टम (प्रतिरोधक तंत्र) वाले, बजुर्गों और बच्चों को लू लगने का अधिक खतरा रहता है। ये लोग अधिक देर तक धूप में रहने से बचें।
गर्मी के मौसम में शरीर को अधिक से अधिक ढककर रखें। खाली पेट घर से बाहर न निकलें।
धूप में बाहर निकलना भी पड़े तो जेब में एक प्याज रख लें। ओआरएस घोल का प्रयोग भी लू से बचाता है। तरबूज, खरबूजा, खीरा ककड़ी आदि खाएं।
(एमबी अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉ. विजय गोयल के अनुसार)