बिगड़ रहा है शहर का स्वरूप, सड़कों तक पसर रही हैं दुकानें, बाधित होता है यातायात
उदयपुर। शहर में कई वर्षों से अनेक मौकों पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाए गए, लेकिन इन सबका असर ज्यादा नहीं रहा। कभी पुलिस महकमे की ओर से पहल की गई, तो कभी नगरपरिषद की ओर से। विशेष बात यह रही कि जिन अधिकारियों ने अतिक्रमण हटवाने को लेकर पहल की, वह कुछ ही दिनों के बाद ही चुप हो गए। समस्या जस की तस है। इससे शहर का स्वरूप तो बिगड़ ही रहा है, वहीं बाजारों में भी यातायात व्यवस्था बाधित होती जा रही है।
थोड़े दिन की चुस्ती
करीब सात माह पूर्व पुलिस विभाग के कुछ अधिकारियों ने शहर के बापूबाजार, अश्विनी बाजार, धानमंड़ी जैसे कई बाजारों में अतिक्रमण को हटाने का अभियान शुरू किया, जो कुछ दिनों के बाद ही बंद हो गया। पुलिस विभाग की कुछ समय की कार्रवाई से आम जनता को सुकुन तो मिला लेकिन कुछ ही दिनों के बाद व्यापारियों ने सामान को बाहर निकाल कर सड़कों को फिर से छोटा कर दिया। अतिक्रमण हटाने की सर्वप्रथम जिम्मेदारी नगर निगम की है, लेकिन अधिकांश मौकों पर निगम की ओर से कभी प्रभावी भूमिका नहीं निभाई गई। निगम ने कभी कार्रवाई की, तो कुछ ही समय के बाद फॉलो नहीं करने से बाजारों में एक बार फिर अतिक्रमण शुरू कर दिया।
खो गया सौंदर्यीकरण
शहर के सौंदर्यीकरण को लेकर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन अतिक्रमण के सामने ऐसे सभी प्रयास बौने साबित हो रहे हैं। यहां तक कि सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से करोड़ों रुपयों से बनाई नई सड़कें भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ गई। दुकानें सड़कों तक पसर रही है और सड़कें सिकुड़ रही है।
तंग होती संक री गलियां
अतिक्रमण के चलते समूचे शहर में छोटे-बड़े बाजार संकरे हो रहे हैं। शहर की मालदास स्ट्रीट से लेकर हाथीपोल चौरहा, घंटाघर से मोची बजारा, सिंधी बाजार से मुखर्जी चौक व लखारा चौक से मंडी की नाल जैसे कई बाजारों के हाल खराब हो रहे हैं। व्यापारी सामान व वाहनों को रखकर अतिक्रमण के नाम पर मनमानी कर रहे हैं।
छह माह पूर्व हुई थी वार्ता
पुलिस विभाग ने बढ़ते अतिक्रमण को देखकर शहर के कई हिस्सों से अतिक्रमण हटाने का काम शुरू किया था। जिससे नाराज होकर मंडी के व्यापारियों ने रोष जताया था। व्यापारियों के रोष के चलते पुलिस विभाग व मंडी व्यापार मण्डल के बीच में एक समझौता तय हुआ है। जिसमें व्यापारी दुकानों से आगे लगभग दो फीट तक उनका सामान व दुकान के ऊपर शेड लगा सकेंगे, लेकिन फिर से इस समझौते को भूलकर दुकानों को बीच सड़क तक ले आए हैं।
यह एक आम समस्यां है। इसके लिए व्यापारियों को ही जागरूक होना होगा। नगर निगम व पुलिस विभाग यदि कोई अभियान चलाता है, तो हम उसमें भाग लेकर उसे पूर्ण रूप से सहयोग कर अतिक्रमण हटाएंगे।
-राजेद्र त्रिपाठी, ट्रैफिक डिप्टी
अतिक्रमण के लिए एक अलग से टीम का गठन किया है, जो कि रोजाना अतिक्रमण को हटाने का कार्य करती है। चुनाव के चलते अभी स्टॉफ की कमी होने से परेशान हो रही है। बाद में सबकुछ ठीक कर दिया जाएगा।
-हिम्मतङ्क्षसह बारहठ, आयुक्त नगर निगम