भारतीय राजनीति और आम चुनावों के मद्देनजर देश में 10 राज्य ऐसे हैं, जहां मुसलमान इस बार निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में दिख रहे हैं। ये दस राज्य हैं, यूपी, पश्चिम बंगाल, बिहार, जम्मू-कश्मीर, असम, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश। इन राज्यों की 360 सीटों पर 12 करोड़ 50 लाख से अधिक मुसलमान वोटर कैंडिडेट्स की किस्मत का फैसला करेंगे। इन 10 राज्यों में से 3 (यूपी, पश्चिम बंगाल, बिहार) में तो देश के कुल मुसलमानों (15 करोड़ 25 लाख) की करीब पचास फीसदी आबादी बसती है। मुस्लिम आबादी के मद्देनजर क्या है इन राज्यों में आंकड़ों का गणित, डालते हैं एक नजर। सभी आंकड़े 2009-10 के नैशनल सैंपल सर्वे और 2011 की जनगणना पर आधारित हैं।
राजनीतिक दल यह जानते हैं कि मुसलमानों के वोटों के बगैर भारतीय राजनीति में दबदबा कायम रखना मुमकिन नहीं है। ऐसे में पार्टियों द्वारा हमेशा से इस समुदाय को वोट बैंक की नजर से देखना कोई राज की बात नहीं रही है। आम तौर पर यह माना जाता है कि मुसलमान किसी पार्टी या प्रत्याशी के लिए एकमुश्त वोटिंग करते हैं। भारतीय राजनीति में गेमचेंजर की भूमिका निभाने वाले इस समुदाय से जुड़े कुछ दिलचस्प आंकड़ों पर डालते हैं नजर :
15 करोड़ 25 लाख है मुसलमानों की कुल तादाद भारत में
12.6 प्रतिशत हिस्सेदारी है इस समुदाय की देश की कुल आबादी में
50 पर्सेंट मुसलमान रहते हैं सिर्फ तीन राज्यों (यूपी, पश्चिम बंगाल, बिहार) में
उत्तर प्रदेश
मुसलमानों की तादाद : 3 करोड़ 37 लाख
राज्य की आबादी में : 17%
लोकसभा सीट : 80
पश्चिम बंगाल
मुसलमानों की तादाद : 2 करोड़ 49 लाख
राज्य की आबादी में : 27%
लोकसभा सीट : 42
बिहार
मुसलमानों की तादाद : 1 करोड़ 56 लाख
राज्य की आबादी में : 15%
लोकसभा सीट : 40
जम्मू-कश्मीर
मुसलमानों की तादाद : 70 लाख
राज्य की आबादी में : 56%
कुल लोकसभा सीट : 6
असम
मुसलमानों की तादाद : 1 करोड़
राज्य की आबादी में : 32%
कुल लोकसभा सीट : 1 4
पश्चिम बंगाल
मुसलमानों की तादाद : 2 करोड़ 49 लाख
राज्य की आबादी में : 27%
कुल लोकसभा सीट : 42
केरल
मुसलमानों की तादाद : 76 लाख
राज्य की आबादी में : 23%
कुल लोकसभा सीट : 20
यूपी
मुसलमानों की तादाद : 3 करोड़ 37 लाख
राज्य की आबादी में : 17%
कुल लोकसभा सीट : 80
महाराष्ट्र
मुसलमानों की तादाद : 1 करोड़ 6 लाख
राज्य की आबादी में : 9%
लोकसभा सीट : 48
तमिलनाडु
मुसलमानों की तादाद : 38 लाख
राज्य की आबादी में : 5%
लोकसभा सीट : 39
आंध्र प्रदेश
मुसलमानों की तादाद : 76 लाख
राज्य की आबादी में : 9%
लोकसभा सीट : 42
मध्य प्रदेश
मुसलमानों की तादाद : 43 लाख
राज्य की आबादी में : 6%
लोकसभा सीट : 29
इनके रुख से बदलती है ‘हवा’
मुसलमान समुदाय पर उनके धार्मिक संगठनों और धर्मगुरुओं का भी खासा प्रभाव रहा है। देश में बहुत सारे प्रभावशाली मुस्लिम धर्मगुरू, नेता और संगठन हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही खुले तौर पर राजनीतिक पार्टियों के पक्ष में बोलते हैं या राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होते हैं।
केरल
यहां इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का समुदाय के वोटों पर खासा प्रभाव है। यह संगठन राज्य में यूडीएफ के अगुआई वाली सरकार में भी शामिल है।
बिहार
किसी एक संगठन का वर्चस्व नहीं। इमारत शरिया जैसे ग्रुप आधिकारिक तौर पर किसी दल के पक्ष में नजर नहीं आते, लेकिन जेडीयू और आरजेडी, दोनों ही इन्हें लुभाने की कोशिश में लगे रहते हैं।
असम
यहां की राजनीति में एआईयूडीएफ की खासी दखल है। इत्र के कारोबार से जुड़े बदरुद्दीन अजमल ने इस संगठन की स्थापना की। ये संगठन अपनी पहुंच का विस्तार अब पश्चिम बंगाल तक करने की योजना बना रहा है।
हैदराबाद
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलिमीन (एआईएमआईएम) के एकमात्र एमपी असउद्दीन ओवैसी यहीं से आते हैं। ओवैसी यहां की घनी बसी मुसलमान आबादी में अच्छी पहुंच रखते हैं।
उत्तर प्रदेश
आधिकारिक तौर पर गैर राजनीतिक माने जाने वाले इस्लामिक तालीम देने वाले संस्थान देवबंद को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई पार्टियां लुभाने में लगी रहती हैं। इसके अलावा, लखनऊ स्थित नदवातुल इस्लाम भी ऐसा ही संस्थान है। वहीं, बरेली में सुब्हानी मियां एक प्रभावशाली धर्मगुरु के तौर पर जाने जाते हैं। लखनऊ में शिया धर्मगुरु कल्बे सादिक भी काफी प्रभावशाली माने जाते हैं।
दिल्ली
जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी हाल ही में उस वक्त खबरों में थे, जब उन्होंने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया। यहां के जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद संगठन का भी पूरे देश में प्रभाव है। हालांकि, यह संगठन दो धड़ों में बंट गया है।
Dear Editor
you mansion Uttar Pradesh 2 time( उत्तर प्रदेश/ यूपी)
in your article please correct the same
Thanks