उदयपुर। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग पानी का हिसाब बड़े बेहिसाब ढंग से रख रहा है। कनेक्शन लेने पर मीटर लगाने की बाध्यता होने के बावजूद विभाग द्वारा स्टॉफ की कमी का बहाना बनाकर बिना मीटर रीडिंग के सभी उपभोक्ताओं को एक जैसा बिल थमा रहा है। जलदाय विभाग के तहत पूर्व में नल कनेक्शन के लिए आवेदन करने पर सरकार की ओर से मीटर उपभोक्ता को दिए जाते थे। नियमित इनकी रीडिंग होती थी तथा उसके अनुरूप बिल जारी होते थे। बाद में प्रावधानों में बदलाव हुए अब मीटर उपभोक्ता को स्वयं लाना होता है। विभागीय फाइलों में मीटर का नंबर अंकित करने के साथ ही कर्मचारी अपना दायित्व पूरा मान लेते है और फिर हर महीने बिना मीटर रीडिंग के मनमानी मीटर रीडिंग लिख देते हैं।
90 फीसदी मीटर बंद : शहर के 90 फीसदी उपभोक्ताओं के नल मीटर बंद पड़े हैं। पुराने उपभोक्ताओं के नल मीटर बंद पड़े होने से विभाग हर माह बिल में 10 से 12 रुपए अतिरिक्त चार्ज वसूल रहा है। उपभोक्ता की तरफ से शिकायत लेकर जाने पर भी संतोषप्रद जवाब नहीं मिलता। इससे सालों से शहर के कई उपभोक्ता अतिरिक्त राशि जमा करवा रहे हंै। कई केस तो ऐसे है कि जहां खराब मीटर खुद उपभोक्ता ने बदल दिए, लेकिन फिर भी उनके अतिरिक्त बिल आता है, क्योंकि पानी के लिए कोई रीडिंग लेने नहीं आता।
:शहर में नियमित रूप से मीटर रीडिंग होती है। मीटर खराब होने की स्थिति में एवरेज रीडिंग लिखी जाती है और मीटर खऱाब होने का अतिरिक्त चार्ज लगता है। मीटर बदलवाने का नोटिस भी हम नियमित देते हंै।
-राजेंद्र भरद्वाज, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, उदयपुर शहर प्रथम
९० प्रतिशत पानी के मीटर खराब
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