पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के फैसले पर केंद्र और तमिलनाडु सरकार में तकरार बढ़ गई है। अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की है। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दोषियों की सजा-ए-मौत को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। इसके बाद जयललिता सरकार ने आपात बैठक कर बुधवार को सभी सात दोषियों को रिहा करने का फैसला लिया था और कहा था कि अगर केंद्र सरकार तीन दिन में इस पर मंजूरी नहीं देती है तो राज्य सरकार बिना केंद्र की मंजूरी के ही दोषियों को रिहा कर देगी। इसके बाद राहुल गांधी ने इस पर अफसोस जताया था।
गुरुवार को अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर कर अपील की कि जब तक इस याचिका पर फैसला नहीं हो जाता तब तक दोषियों की रिहाई नहीं करने का आदेश दिया जाए।
इससे पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कहा था, ‘सुनने में आया है कि राजीवजी के हत्यारों को रिहा करने के आदेश हुए हैं। मैं मौत की सजा के खिलाफ हूं। लेकिन प्रधानमंत्री का हत्यारा ही रिहा हो जाए फिर आम आदमी के बारे में क्या सोच सकते हैं?’
…लेकिन कांग्रेस कठघरे में
केंद्र में 10 साल से कांग्रेस का शासन है और राजीव के हत्यारों की दया याचिका राष्ट्रपति के पास 11 साल तक लटकी रही। ऐसा क्यों हुआ, इसका जवाब कांग्रेस के पास नहीं है। सु्प्रीम कोर्ट ने दया याचिका पर फैसले में देरी को ही आधार बना कर हत्यारों को मिली फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दी और अब जयललिता सरकार उन्हें रिहा करने का फैसला ले चुकी है।
सियासी गणित
तमिलनाडु में लोकसभा की 39 सीटें हैं। करुणानिधि की डीएमके के पास 18 और जयललिता की अन्नाद्रमुक के पास 9 सीटें हैं। तमिल राष्ट्रवाद का नारा देने वाली वाइको की दक्षिण तमिलनाडु में अच्छी पकड़ है। चुनाव पास हैं। करुणानिधि या वाइको श्रेय की राजनीति शुरू करें, इससे पहले ही अत्यधिक जल्दबाजी दिखाते हुए जयललिता ने रिहाई का पांसा फेंक दिया है।
तमिलनाडु की जयललिता सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मई 1991 में हुई हत्या के इन सात दोषियों को रिहा करने का फैसला किया है…
संतन उर्फ टी.सथेंद्रराजा
श्रीलंका निवासी संतन हत्याकांड के समय 20 वर्ष का था और तमिल उग्रवादी संगठन की खुफिया शाखा का सदस्य था और वह मुख्य अभियुक्त सिवरासन का नजदीकी सहयोगी था। उसे मद्रास में अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए भेजा गया था और भारत आने पर उसने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी में दाखिला लिया। कहा जाता है कि उसकी फीस का भुगतान लिट्टे द्वारा किया जाता था।
संतन राजीव गांधी की हत्या में शामिल अभियुक्तों में महत्वपूर्ण कड़ी था। वह उन कुछ लोगों में था जिसे राजीव गांधी की हत्या से पूर्व सारी जानकारी उपलब्ध थी। वह हत्या के दिन सिवरासन से मिला था।
नलिनी
राजीव गांधी की हत्या में पांच हत्यारों का जो दस्ता शामिल था, उनमें से नलिनी ही जिंदा बची है। नलिनी इस केस के एक अन्य दोषी मुरुगन की पत्नी है। नलिनी को अन्य दो महिलाओं के साथ श्रीलंका से इस घटना को अंजाम देने के लिए लाया गया था। नलिनी ने इसके लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री, वी.पी सिंह की सभा में जाकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया था। नलिनी दो अन्य महिला हमलावरों सूबा और थनु को हत्या के दिन के लिए पहनने के लिए कपड़े खरीदने के लिए गारमेंट्स स्टोर में ले गई थी।
मुरुगन
हत्या के समय मुरुगन की उम्र 21 साल थी और वह श्रीलंका में एलटीटीई (लिट्टे) का हिस्सा था और भारत में उसे इस घटना को अंजाम देने के लिए भेजा गया था। पुलिस को दिए गए अपने कबूलनामे में मुरुगन ने कहा कि वह वह जनवरी 1991 में भारत आया और यहां तक कि नलिनी को एलटीटीई (लिट्टे) ज्वाइन करने के लिए तैयार किया। हत्या से पहले उसने तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी सिंह की सभा में जाकर सुरक्षा-व्यवस्था का जायजा लिया था। जांचकर्ताओं के अनुसार, राजीव गांधी की हत्या के बाद नलिनी और मुरुगन ने तिरुपति मंदिर में जाकर माथा टेका और भगवान का शुक्रिया अदा किया। अपने इकबालिया बयान के आधार पर उसे अभियुक्त बनाया गया था।
एजी पेरारिवलन
हत्या के समय पेरारिवलन की उम्र 20 वर्ष थी, उसके पिता एक तमिल कवि थे और वह 1989 से लिट्टे का कट्टर सदस्य था। वह लिट्टे के साहित्य सेल का सदस्य था और यहां तक कि श्रीलंका जाने पर लिट्टे प्रमुख वेलुप्पिलई प्रभाकरन और अन्य से मिला था। उस पर आरोप है कि उसने भारत में एलटीटीई के कैडर को जोड़ने के लिए काम किया था और लिट्टे के सदस्यों को वेल्लोर के किले से निकालने के लिए स्केच भी तैयार किया था। पेरारिवलन पर हत्या में शामिल अभियुक्तों को सामग्री उपलब्ध कराने का आरोप है। इसके अलावा, उसने भी तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी.सिंह की सभा में जाकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया था।
रॉबर्ट पायस
श्रीलंका मूल का तमिल रॉबर्ट पर आरोप है कि उसने इस घटना को अंजामम देने के लिए अपनी पत्नी और लिट्टे के अन्य कमांडो के साथ सितंबर 1990 में भारत में कदम रखा था। पायस का दावा है कि भारतीय शांति बल के द्वारा श्रीलंका में की गई कार्यवायी में उसका पुत्र मारा गया था जिसके कारण वह बदले की भावना से जूझ रहा था। पायस ने अपने इकबालिया बयान में हत्या में शामिल होने को कबूल किया था।
जयकुमार
पायस के नजदीकी संबंधी, जयकुमार को लिट्टे ने 1990 में भारत भेजा था। जयकुमार को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वह तमिलनाडु में आरोपियों के रहने-खाने के लिए उचित प्रबंध करे।
रविचंद्रन
श्रीलंका मूल का तमिल नागरिक रविचंद्रन पर मुख्य अभियुक्त सिवरासन को घटना को अंजाम देने के लिए फंड मुहैया कराने का आरोप है। वह 1990 में भारत आया था। उस पर, हत्या को अंजाम देने के लिए कई तरह की जिम्मेदारियां थीं। उसे लिट्टे के द्वारा ट्रैवल एजेंसी खोलने और कैडरों को लाने-ले जाने के लिए व्हीकल खरीदने के लिए भी पैसे दिए गए थे।