उदयपुर. शहर को लो कार्बन सिटी बनाने के लिए प्रशासन को अगले कुछ महीनों में बड़े फैसले लेने होंगे। मसलन ज्यादा धुआं छोडऩे वाले वाहनों को बंद करवाना, सीएनजी से वाहनों का संचालन, पाब्लिक ट्रांसपोर्ट को दुरुस्त कर सिटी बसों का संचालन करना होगा ताकि शहर में कार्बन उत्सर्जन कम से कम हो। लो कार्बन मोबिलिटी प्लान लागू करने के लिए ये सभी मानक भारत-4 (यूरो-4) में शामिल हैं। कनाडा तथा भारत सरकार के साझे में देश के तीन शहरों में कार्बन स्तर की मॉडल स्टडी कर रही संस्था यूएमटीसीएल (अरबन मास ट्रांजिट कंपनी लिमिटेड) के स्थानीय संयोजक रंजन दत्ता ने स्टडी ड्राफ्ट गुरुवार को कलेक्ट्री सभागार में मेयर रजनी डांगी, यूआईटी सचिव डॉ. आर.पी. शर्मा व निगम आयुक्त हिम्मत सिंह, सीनियर टाउन प्लानर सतीश श्रीमाली, एनएलसीपी टीम लीडर बी.एल. कोठारी को सौंपा।
15 दिनों में देने है सुझाव : संबंधित विभाग के अफसरों को इस ड्राफ्ट का अध्ययन कर 15 दिन में सुझाव देने का अनुरोध किया। एक माह बाद फाइनल रिपोर्ट तैयार कर दी जाएगी। इस दौरान यूआईटी के अधिशासी अभियंता संजीव शर्मा, ट्रैफिक डीएसपी राजेंद्र त्रिपाठी, रेलवे तथा एयरपोर्ट ऑथोरिटी के अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
चार दिवारी में साइकिल और बैट्री वाले वाहन चलें : चार दिवारी में लोगों को पैदल या साइकिल पर चलने की आदत डालनी चाहिए। परिवहन के लिए बैट्री वाले दो व तीन पहिया वाहन चलाने की जरूरत है।
प्रदूषण कम करने के लिए अधिकारियों ने भी दिए कई सुझाव, पुराने वाहन बंद कर सीएनजी वाले चलाए जाएं
प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी जगदीश सिंह ने बताया कि सरकार व प्रशासन को सीएनजी से वाहन चलाने की सख्ती करनी होगी। मेट्रो शहरों की तरह पुराने टेम्पो, बसें तथा जीप-कारों का संचालन बंद करना होगा। सिंह ने 90 डेसिबल से अधिक आवाज करने वाले वाहनों को भी बंद करने की जरूरत बताई। उन्होंने बताया कि सात-आठ वर्ष पुराने वाहनों को मोडिफाई करके सीएनजी से संचालन योग्य बनाया जा सकता है।
उपनगरीय क्षेत्रों में चला सकते हैं टायर्ड ट्राम
यूआईटी सचिव डॉ. आर.पी. शर्मा ने स्ट्रांसबर्ग में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के रूप में चलने वाली टायर्ड ट्राम को उदयपुर की भौगोलिक संरचना के आधार पर बेहतरीन विकल्प बताया। शर्मा के मुताबिक टायर्ड ट्राम बिजली से चलती है, जिससे प्रदूषण नहीं होता। इसे पब्लिक रोड्स पर पांच मीटर के पाथ पर चलाया जा सकता है। इसमें छह कोच होते हैं और प्रत्येक में 25 यात्री बैठ सकते हैं।
भीड़ वाले मार्गों पर टेम्पो परमिट देना बंद करें
मेयर रजनी डांगी ने जिला परिवहन अधिकारी से अनुरोध किया कि वे भीड़ वाले व्यस्त मार्गों पर टेम्पो के परमिट देना बंद करके उन मार्गों के परमिट दें जहां परिवहन के साधनों की कमी है। मसलन ज्यादातर परमिट देहलीगेट, हाथीपोल, सूरजपोल व उदियोपाल के बीच है। सवीना, सेक्टर 14, बडग़ांव मार्ग पर सबसे ज्यादा परमिट है। हकीकत यह है कि 10 साल में बसी नई कॉलोनियों से शहर आने-जाने के लिए ऑटो या टेम्पो नहीं मिलते।
ठोकर चौराहे पर अंडर या ओवरब्रिज बने
ठोकर रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रेनों के आने-जाने के समय वाहनों का जमावड़ा लगने से वाहनों की कतारें लगती हैं। वाहनों के इंजन चालू रहने से धुआं व कार्बन का उत्सर्जन होता है। यूआईटी के एसई अनिल नेपालिया ने कहा कि अंडर ब्रिज बनाने की मंजूरी के लिए वे रेल प्रबंधन को कई पत्र लिख चुके हैं।
अलवर की तरह लो कार्बन वैन शुरू करें
यूएमटीसीएल के रंजन दत्ता ने प्रस्तुत किया। उन्होंने लाइव प्रोजेक्टर रिपोर्ट के जरिए बताया कि उदयपुर के मौजूदा कलेक्टर आशुतोष पेडणेकर ने अलवर में इसी पद पर कार्य करते हुए प्रदूषण फैलाने वाले 750 टेम्पो बंद करा कर न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन करने वाली वैन चलवा दी थीं।
कैसे होगा अमल
1 प्रशासनिक अधिकारियों से मिलने वाले प्रस्तावित सुझावों को रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा। इसके बाद फाइनल रिपोर्ट बनेगी।
2 रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत सिटी बसों का संचालन उदयपुर में किया जा सकता है। वाहनों को बदलने के लिए भी केंद्र सरकार से राशि मिल सकती है।
3 दो प्रमुख प्रोजेक्ट के लिए कनाडा से भी बड़ी रकम मिल सकती है। इससे परिवहन सुविधाओं को और बेहतर बनाया जा सकेगा।
धुआं छोडऩे वाले टेम्पो बंद हों, सीएनजी से चलें वाहन
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