उदयपुर। राजस्थान से लगती मध्यप्रदेश सीमा से हथियार व मादक पदार्थ की तस्करी होने के बावजूद राज्य सरकार बिलकुल गंभीर नहीं है। मध्यप्रदेश से आने वाले हथियार व बड़े तस्करों की आवाजाही के कारण उदयपुर संभाग का प्रतापगढ़ जिला अपराधियों का गढ़ बन चुका है।
इस क्षेत्र के देवल्दी, नौगांव, अखेपुर, साकरिया सहित आधा दर्जन गांवों के घरों में खिलौने की जगह तमंचे, पिस्टल मिलते हैं। इस जिले में कहने को 4738 पंजीकृत (लाइसेंसी) हथियार है, लेकिन हकीकत में यहां बिना लाइसेंस के हथियारों की गिनती ही नहीं है।
नहीं चलती पुलिस की
इन्हीं, हथियारों की दंबगई के आगे इन गांवों में न तो पुलिस की चलती है और न ही प्रशासन की कोई सुनता है। प्रतापगढ़ के कोटड़ी व माहेड़ा गांव में मंगलवार को हुई फायरिंग, तोड़फोड़ व आगजनी की घटना इसी की परिणिती है। मामूली झगड़े के बाद निकले हथियार न तो लाइसेंसी थे न ही पुलिस को उनके बारे में कोई जानकारी थी। उन हथियारों से निकली गोलियां कइयों को लगी।
अत्याधुनिक हथियार
हकीकत में इन गोलियों के आधार पर पता लगाया जाए तो, अवैध हथियारों की हकीकत सामने आ जाएगी। जिन हथियार से यह गोलियां निकली, वह गैरलाइसेंसी होकर अतिआधुनिक थे। यह मध्यप्रदेश के बॉर्डर पार से यहां पहुंचे। जानकारों का कहना है कि ड्रग माफिया के कारण हथियारों के सही खरीदार प्रतापगढ़ के है। इसी कारण यहां हर तीसरे व्यक्ति के पास हथियार है।
बढ़ा देते हैं, सिर्फ चौकसी
दंगे फसाद होने पर बढ़ती है सुरक्षा राज्य के सीमावर्ती इलाकों व राज्य के किसी भी जिले में वारदात होने पर सीमा पर महज कुछ दिनों के लिए चौकसी बढ़ा दी जाती है। शेष्ा दिनों में वहीं ढाक के तीन पात। गुजरात दंगे के समय भी बॉर्डर के आस-पास के इलाकों में तीन अस्थाई चौकियां बनाई गई थी, अभी वहां कुछ नहीं है। अजमेर व जयपुर बम ब्लॉस्ट के बाद वहां पर महज नाकाबंदी से काम चलाया गया। सुरक्षा के नाम पर गुजरात व मध्यप्रदेश की सीमा पर अपराधी अभी भी आसानी से आ जा रहे है।
इन मार्गो से बॉर्डर पार
आरोपी राज्य या राज्य के बाहर वारदाते कर निम्बाहेड़ा से नया गांव, प्रतापगढ़ से मंदसौर, बांसवाड़ा से सैलाना, छोटी सादड़ी से नीमच, होकर मध्यप्रदेश में व उदयपुर के खेरवाड़ा से होकर अहमदाबाद, बासंवाड़ा से दाहोद और झाड़ोल-कोटड़ा मार्ग से गुजरात के बॉर्डर में घुस जाते है।
कई वारदातों में हुए इधर-उधर
प्रतापगढ़ में गिरराज वकील के हत्या करने वाले आरोपियों ने मंदसौर में शरण ली।
निम्बाहेड़ा से जेल से भागे बारह कैदी मध्यप्रदेश के सीमा पार कर नीमच में रहे।
मंदसौर में एक युवक की हत्या कर पिता पुत्र भागकर उदयपुर में छिपे रहे।
शहर के हमीद लाल हत्याकांड के बाद आरोपी गुजरात बॉर्डर शहरों में छिपे रहे।
गुजरात के कई आपराधिक मामले में आरोपियों ने बॉर्डर पार कर राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों
में शरण ।