उदयपुर. वेनिस ऑफ द उदयपुर कही जाने वाली लेकसिटी की आयड़ नदी में छोटे-छोटे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाकर चार जगह एनिकट बनाए जाएंगे। इन एनिकट के भरने में नदी में लगातार पानी बहेगा और एनिकट से झरने गिरते हुए दिखाई देंगे।
कलेक्टर आशुतोष पेडणेकर की अध्यक्षता में डीपीआर बनाने वाली वाप्कोस कंपनी व यूआईटी के इंजीनियरों ने यह खाका तैयार किया है। इस तकनीकी रिपोर्ट के बिंदुओं को डीपीआर में शामिल किया जाएगा। गुमानिया नाले से डोरे नगर के बीच नदी में गिरने वाले नाले-नालियों का पानी ट्रीटमेंट प्लांट में और साफ पानी नदी में डाला जाएगा।
एनिकट लबालब होने के बाद ओवरफ्लो से लगातार झरना भी बहेगा। गौरतलब है कि पहले इस नदी के विकास की योजना 700 करोड़ रुपए से अधिक की बनी थी। इसमें रिटेनिंग वॉल का प्रावधान था जो अब हटा दिया गया है। बताया गया है कि जो योजना अब बनी है, वो काम 200 से 300 करोड़ में ही हो जाएगा।
डीपीआर में शामिल होंगे बिंदु, एसटीपी के आउटफ्लो से भरेंगे एनिकट
शहरी क्षेत्र में आयड़ नदी में गिरने वाले गंदे पानी के नाले चिह्नित कर लिए गए हैं। पंचवटी, गुमानिया वाला, नवरत्न काम्पलेक्स, पंचरत्न काम्पलेक्स, सरदारपुरा, आलू फैक्ट्री कच्ची बस्ती, अशोक नगर, सुभाष नगर कॉलोनी के गंदे पानी के नाले आयड़ नदी में गिर रहे हैं।
यूआईटी, नगर निगम और जल संसाधन विभाग ने नदी में सीवरेज गिरने के स्थान चिह्नित करने के साथ सीवरेज की मात्रा का भी आकलन किया है। सीवरेज डिस्चार्ज की मात्रा के अनुसार पोर्टेबल ट्रीटमेंट प्लांट के प्वाइंट तय किए गए हैं। एक एमएलडी, दो एमएलडी तथा 5 एमएलडी जल शोधन क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे।
शुरू हो सकेंगे वाटर स्पोर्ट्स
नदी के शहरी क्षेत्र में बनने वाले चार एनिकट में डोरे नगर की तरफ सबसे आखिरी एनिकट होगा। चौथे एनिकट से तीसरा थोड़ा ऊपर बनेगा। तीसरे से ऊपर दूसरा एनिकट होगा। पहला एनिकट सबसे ऊपर होगा। इन्हें सीवरेज ट्रीटेड पानी से लबालब रखा जाएगा। पर्यटन विभाग की ओर से नदी में छोटी नावें तथा वाटर स्पोट्र्स शुरू किए जा सकेंगे। इस क्षेत्र को भी पर्यटकों के लिए नया डेस्टिनेशन बनाया जा सकेगा।
दोनों तरफ बनेंगी दीवार
आयड़ नदी के दोनों छोर पर रिटेनिंग वॉल बनाने का प्रस्ताव खारिज करके साधारण दीवार बनाने का निर्णय लिया गया है। जहां दीवार बनाना संभव होगा वहां नदी के समानांतर साधारण दीवारें बनाई जाएंगी। दीवारें बनाने से नदी पेटा की जमीन पर अतिक्रमण रुकेंगे। दीवार बन जाने से बाहर का ठोस कचरा नदी में नहीं डाला जा सकेगा।
स्ट्रिप गार्डन बनेंगे
आयड़ किनारे बसीं कॉलोनियों से नदी के बीच खाली पड़ी वे जमीनें जिन पर अतिक्रमणकारियों की नजरें नहीं पड़ पाई हैं उन पर लंबी पट्टी के आकार के स्ट्रिप गार्डन बनाए जाएंगे।