उदयपुर। इस ऐतिहासिक शहर की विरासत, शहर कोट को सफेदपोश-रसूखदार लोग अफसरों से मिलीभगत करके सरेआम खा गए लेकिन किसी ने चूं तक नहीं की। इन लोगों ने चुपचाप शहर कोट गिराई और उन पर बिना स्वीकृति लिए अपने मकान बनवा लिए। अब इस आबादी क्षेत्र में होटलों का निर्माण कर अवैध रूप से व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है। यह सब सिटी स्टेशन रोड पर शिवाजी नगर नामक क्षेत्र में चल रहा है, जिस पर कोई उंगली नहीं उठाता है। न यूआईटी न नगर निगम।
सार्वजनिक उपयोग की थी जमीन
1962 में जब भाजपा के वरिष्ठ नेता भानु कुमार शास्त्री तत्कालीन उदयपुर नगर पालिका के अध्यक्ष थे, तब उनके साथ 14 प्रभावशाली लोगों ने शिवाजी नगर बसाया गया था। उस वक्त शहर कोट से सटी हुई जमीन नगर पालिका को सार्वजनिक उपयोग के लिए दे दी गयी थी। लेकिन कुछ सालों बाद 1980 में उसी जमीन को इन 14 लोगों ने आपस में बांट कर खुर्द-बुर्द कर दी, जिसका मामला आज तक कोर्ट में लंबित है। तभी से उस जमीन पर मकान बने और उन मकान मालिकों ने शहर कोट को तोड़कर उसके ऊपर भी मकानों के निर्माण शुरू कर दिए।
दोनों निकायों ने कभी संयुक्तकार्रवाई नहीं की
चूंकि शहर कोट से सटी हुई जमीन नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आती है और उस पर बनी शहर कोट यूआईटी के अधीन है। होना यह चाहिए था कि शहर कोट पर हुए अतिक्रमण पर नगर निगम और यूआईटी संयुक्त कार्रवाई करते लेकिन आज तक कभी कोई ऐसी कारवाई नहीं की गई। कई सालों पहले यूआईटी ने सभी अतिक्रमियों को नोटिस जरूर दिए थे, इससे अधिक उसने कभी कुछ नहीं किया।
व्यवसायिक होने लगी जमीन: शहर कोट से सटी यह जमीन शहर के बीच और स्टेशन रोड पर है, इसलिए वहां अब धीरे-धीरे सारे भूखंडों पर व्यावसायिक निर्माण होने लगे हैं। दो बड़ी होटले राही रिजेंसी और होटल वात्सल्य का निर्माण हो गया है, जिससे शांत कॉलोनी में बाहरी लोगों की रेलम पेल लगी रहती है। यही नहीं दोनों होटलों में आने वाले पर्यटकों के वाहन होटल में पर्याप्त पार्किंग नहीं होने की वजह से कॉलोनी की सड़कों पर ही खड़े रहते हंै। कॉलोनीवासियों का कहना है कि रात के १२ बजे तक यहां वाहनों का आना-जाना लगा रहता है। इन लोगों के है निर्माण शहर कोट पर: जिन लोगों ने शहर कोट तोड़कर निर्माण कर रखे हैं, उनमे धीरेन्द्र सालगिया, राजकुमार अग्रवाल, धर्मवीर दूबे, चन्द्रसिंह झाला, करन पोरवाल और दो बड़ी होटले राही रिजेंसी और होटल वात्सल्य इस शहर कोट पर अवैध और गैरकानूनी रूप से बनी हुई है।
नगर निगम का भी अतिक्रमण: शहर कोट जैसी धरोहर को तोड़कर लोगों ने मकान बनाए ही है, लेकिन नगर निगम भी पीछे नहीं रही। उसने भी शहर कोट के ऊपर ही शिवाजी नगर के सामुदायिक केंद्र का निर्माण करवा दिया है।
:इस मामले में कोर्ट में मामला लंबित है, जिसमें वहां रहने वालों ने यह केस कर रखा है कि उक्त जमीन पर उनका ही मालिकाना हक है। शहर कोट पर निर्माण के लिए पूर्व में यूआईटी ने नोटिस दिए थे। अगर होटलों का भी निर्माण हुआ है, तो इस मामले में जांच करवाकर कार्रवाई की जाएगी।
-डॉ. आरपी शर्मा, सचिव, यूआईटी
सफेदपोश-रसूखदार लोग अफसरों की मिलीभगत से निगल गए शहर कोट
Date: