उदयपुर । देश के विभिन्न प्रांतों से आए कवियों ने रविवार को सतरंगी रोशनी में सजे धजे नगर निगम प्रांगण में जब हास्य, व्यंग्य वीर रस के बाण चलाए तो मानो समय ठहर सा गया हो। दीपावली मेला 2013 के तीसरे दिन आयोजित आरके मार्बल व नगर निगम के संयुक्त तत्वावधान में हुए इस कवि सम्मेलन को सुनने मानो पूरा शहर उमड़ पडा। कवि सम्मेलन शुरू होने से पूर्व ही पूरा सदन खचाखच भर गया और लोग कवियों को सुनने को बेताब दिखे। कवि सम्मेलन में देश के ख्यातनाम कवियों ने अपने हास्य, व्यंग्य, वीर रस के अंदाज में श्रोताओं को देर तक बांधे रखा। एक और कवि सम्मेलन आयोजित था तो दूसरी तरफ मेले का भी शहरवासियों ने जमकर लुफ्त उठाया। महिलाओं ने जमकर खरीददारी की। मेले में सभी स्टालों पर भीड रही और खासकर मुंबई से आई फैंसी ज्वेलरी पर युवतियों का मजमा लगा रहा।
कवि सम्मेलन की शुरूआत में प्रकाश जी नागौरी ने मंच संचालन करते हुए कवियों से शहरवासियों का रूबरू करवाया। सर्वप्रथम कोटा से आए जगदीश सौलंकी ने मां सरस्वती की ईश वंदना ‘धडकन मेरी लय हो तेरी वह प्राण दे मां शारदा, मेरी कलम जग हित करे व ज्ञान दे मां शारदे, मां शारदे…’, कर सम्मेलन की शुरूआत की। मंच से उदयपुर के कवि प्रकाश नागौरी ने जब पटना में हुए विस्फोट पर ‘गांधी ग्राउण्ड जब पटना के गांधी मैदान में बदल गया, रैली के पहले आठ धमाके लोकतंत्र ही दहल गया, तब लगा देश को रैली में अब मोदी बोल ना पाएंगे, अरे पटना की क्या औकात मोदी लाल किले जाएंगे…’ सुना सदन में जोश भर दिया। इसके पश्चात उदयपुर के हास्य करूण रस के कवि भरत चौबीसा ने दामिनी घटना को समर्पित कविता ‘भगत सिंह आजाद वो कैसे युवा थे, हर हिन्दु की वो प्रार्थना मुस्लिम की दुआ थे…’ सुनाई तो सदन तालियों से गुंज उठा।
जयपुर से आए वीर रस के कवि अब्दुल गफ्फार जब मंच पर आए तो उनके स्वागत में तालिंया गुंज उठी। उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज में जब कविता पाठ शुरू किया तो हर एक अवाक रह गया। उन्होंने ‘जहां विवश नारी के संग नर नीच अधम व्यवहार करें, जहां संत के दुराचरण पर दुनियां हाहाकार करें, जहां मौलवी राष्ट्र विखंडन की तज़वीज़ बुझाता हो, जहां आश की दिव्य ज्योत को आशाराम बुझाता हो, तो फिर भ्रष्ट व्यवस्थाओं में परिवर्तन मजबूरी है, एक जंग फिर आज़ादी की लडऩा बहुत जरूरी है…’ कविता सुना श्रोताओं में जोश भर दिया।
मेरठ से आए वीर रस के कवि डा. हरिओम पंवार ने अपने चिर परिचित अंदाज में जब मंच से ‘मैं भारत का संविधान हूं, लाल किले से बोल रहा हूं, मेरा अंतरमन घायल है, दिल री गांठे खोल रहा हूं, मैं जबसे आजाद हुआ हूं, अपनों से बरबाद हुआ हूं, मैं ऊपर से हरा भरा हूं, संसद में सौ बार मरा हूं…’ सुनाई तो सदन तालियों से गूंज उठा। डा. पंवार को अब तक कई पुरस्कार मिल चुके है। उन्हें अब तक निराला पुररस्कार, भारतीय साहित्य संगल पुरस्कार, रश्मि पुरस्कार, जनजागरण सर्वश्रेष्ठ कवि पुरस्कार, आवाज ए हिन्दुस्तान आदि सम्मान मिल चुके है।
सांस्कृतिक संध्या में महापौर रजनी डांगी, उपमहापौर महेंद्रसिंह शेखावत, मेला संयोजक हेमलता शर्मा, मेला सह संयोजक दिनेश श्रीमाली, आयुक्त हिम्मतसिंह बारहठ, पाण्डाल समिति संयोजक भंवरसिंह देवडा, निमंत्रण समिति संयोजक प्रेमसिंह शक्तावत, क्षेत्रीय पार्षद व सफाई व्यवस्था समिति के संयोजक पारस सिंघवी, प्रेस समिति के केके कुमावत, प्रचार प्रसार समिति संयोजक कविता मोदी, डेकोरेशन एवं मंच सज्जा समिति संयोजक सत्यनारायण मोची, स्टॉल समिति संयोजक दुर्गेश शर्मा, विद्युत समिति संयोजक विजय आहुजा, परिवहन समिति के धनपाल स्वामी, स्वागत समिति संयोजक किरण जैन, नियंत्रण कक्ष समिति संयोजक गंगाराम तेली, सुरक्षा समिति संयोजक खलील मोहम्म्द, अल्पाहार समिति संयोजक फूलसिंह मीणा, जल व्यवस्था समिति संयोजक कमलेश जावरिया, चिकित्सा समिति संयोजक राखी माली, राजकुमारी मेनारिया आदि पार्षदगण मौजूद थे।