गैजेट्स में खो गया बचपन

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ggggg-300x166क्या आपका लाडला आपको अनसुना कर रहा है? क्या आपका लाडला कुछ खोया-खोया रहता है? क्या आपके लाडले का पढऩेे के साथ किसी अन्य काम में भी मन नहीं लगता?

आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? इसकी मुख्य वजह क्या है? दरअसल टीवी, फोन, टेबलेट, लेपटॉप, वीडियो गेम आदि के ओवर यूज से बच्चों का माइंड सेट डिस्टर्ब हो रहा है। सिटी के 85 फीसदी बच्चे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का बहुत ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उन्हें फिजिकल और मेंटल दोनों तरह की प्रॉब्लम हो रही है। तो आप भी हो जाएं सावधान…

बचपना बिल्कुल भी नहीं: आज जो हम आपको बात बताने जा रहे हैं, वो भले ही बात बच्चों की हो, लेकिन इसमें बचपना बिल्कुल भी नहीं है। शहरों में रहने वाले 85 प्रतिशत बच्चे टेक्नोलॉजी से युक्त गैजेट्स के साथ खेलते हैं। इलेक्ट्रोनिक डिवाइस का ज्यादा इस्तेमाल करने से बच्चों में हेल्थ के साथ-साथ मेंटल प्रॉब्लम भी बढ़ रही है।

बुरी है ये लत: 63 परसेंट से अधिक अपने घरों में एक कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है, जिससे बच्चों में टेक्नोलॉजी के प्रति जानकारी में जबरदस्त वृद्धि हुई है, जो लगातार जारी है। बच्चे हफ्ते में एक बार ऑनलाइन जरूर होते हैं। साथ 27 परसेंट से अधिक बच्चे रोज इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। पेरेंट्स का सुपरविजन न होने से बच्चों को टेक्नोलॉजी आसानी से अवेलेबल हो जाती है, जो बच्चों में टेक्नोलॉजी की लत बढऩे का महत्वपूर्ण कारण हैं।

सोश्यिल मीडिया का इस्तेमाल

जानकारी के अनुसार दस बच्चों में से एक बच्चे के पास अपना मोबाइल फोन है। 60 परसेंट से अधिक बच्चे हर दूसरे दिन ऑनलाइन होते हैं। ऑनलाइन होने पर बच्चे सोशल मीडिया साइट्स को ज्यादा प्रिफर करते हैं, जो पिछले तीन सालों में 25 से 65 परसेंट हो गए हैं। 86 परसेंट बच्चों के कमरों में मोबाइल फोन, म्यूजिक सिस्टम, कंप्यूटर, टेलीविजन मौजूद हैं। वहीं इनमें से दो तिहाई बच्चों के कमरों में ये सब मौजूद हैं।

कंप्यूटर

> 19 प्रतिशत बच्चों के पास अपना खुद का कंप्यूटर है।

> 27 प्रतिशत बच्चे इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।

> 58 प्रतिशत बच्चे कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं।

इंटरनेट

> 46 प्रतिशत बच्चे इंटरनेट का इस्तेमाल अपने घरों में ही करते हैं।

> 19 प्रतिशत साइबर कैफे में करते हैं।

> 13 प्रतिशत स्कूलों में यूज करते हैं।

> 17 प्रतिशत अपने रिलेटिव्स के यहां देखते हैं।

बच्चों के हाथों में फोन

 

> 95 प्रतिशत बच्चे अपने घरों में मोबाइल फोन के साथ होते हैं।

> 73 प्रतिशत बच्चे मोबाइल फोन यूजर्स हैं।

> 9 प्रतिशत बच्चों के पास अपना खुद का मोबाइल फोन हैं।

 

मोबाइल एक्टीविटी

 

> 84 परसेंट बच्चे मोबाइल का बात करने में इस्तेमाल करते हैं।

> 83 परसेंट बच्चे मोबाइल पर गेम्स खेलते हैं।

> 56 परसेंट बच्चे मोबाइल पर म्यूजिक सुनते हैं।

> 45 परसेंट बच्चे एसएमएस के रूप में मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।

 

ऑनलाइन एक्टीविटी

> 70 परसेंट बच्चे गेम्स डाउनलोड करते हैं या खेलते हैं।

> 62 परसेंट बच्चे इनफॉर्मेशन सर्च करते हैं।

> 53 परसेंट सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ऑनलाइन होते हैं।

> 41 परसेंट म्यूजिक डाउनलोड करते हैं या सुनते हैं।

> 36 परसेंट बच्चे ईमेल को देखने और करने के रूप में यूज करते हैं।

> 27 परसेंट होमवर्क करने के लिए यूज करते हैं।

> 18 परसेंट बच्चे वीडियो देखते या डाउनलोड करते हैं।

> 17 परसेंट बच्चे चैटिंग के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

> 10 परसेंट बच्चे वॉलपेपर डाउनलोड करते हैं।

> मात्र 5 परसेंट बच्चे स्पोट्र्स साइट्स विजिट करते हैं।

 

:बच्चों द्वारा मोबाइल, इलेक्ट्रिोनिक गेजेट्स इस्तेमाल करने से उनका बचपन खत्म हो रहा है। गेजेट्स के कारण बच्चे परिजनों से भी दूर होते जा रहे हैं। बच्चे पूरे समय मोबाइल में गेम्स खेलते रहते हैं। इससे उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ जाता है। स्कूल लेवल तक बच्चों को मोबाइल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मोबाइल के अधिक प्रयोग से बच्चों में कम सुनने की शिकायत भी रहती है। बच्चों को ही नहीं बल्कि बड़े लोगों को भी शर्ट की जेब में मोबाइल नहीं रखना चाहिए।

-डॉ. लाखन पोसवाल, शिशु रोग विशेषज्ञ, एमबी अस्पताल

Shabana Pathan
Shabana Pathanhttp://www.udaipurpost.com
Contributer & Co-Editor at UdaipurPost.com

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