एशिया महाद्वीप के कई हिस्सो में पौरूष (सेक्स पावर) बढ़ाने के लिए सांप से बनी दारू का इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं पीठ दर्द, घुटनों का दर्द और अन्य बीमारियों से निजात पाने के लिए भी सांप के अचार, दारू और कई रूपों में इस्तेमाल किया जाता है।
खास बात यह है कि इलाज के लिए केवल जहरीले सांपों को ही चुने जाता हैं। इन्हें चावल से बनी शराब में कई महीनों तक रखा जाता है। इस मिश्रण में कई औषधियां भी मिलाई जाती हैं।
वियतनाम, चीन, ताइवान और अन्य एशियाई देशों में जहरीले सांपों को विभिन्न तरीकों से खाया जाता है। इन देशों में इस तरह की शराब के लिए कई रेस्टोरेंट, बार और औषधीय केद्र खुले हुए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार की तरफ से इन पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यहां पर शराब के अलावा वन्यजीवों के विभिन्न अंगों को बीमारीयां दूर करने और स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए रेस्तरां में परोसा जाता है। ये रेस्तरां खुले आम सेक्स पावर बढ़ाने, बीमारियों से निजात पाने और ताकत बढ़ाने जैसे दावे भी करते हैं।
माना जाता है कि वियतनाम में इस तरह की औषधीय शराब के 100 ज्यादा प्रकार उपलब्ध हैं। इनमें से अधिकांश में वन्यप्राणियों के अवशेष और लुप्तप्राय जीवों के अंश मिलाए जाते हैं।
ऎसा ही एक मामला हाल ही में उत्तरी चीन के हार्बिन शहर में सामने आया। यहां की एक महिला ने घुटने के दर्द का इलाज करने एक जहरीला सांप खरीदा। बंद जार में रखे इस सांप ने इस महिला को तब काटा जब वह शराब और सांप को हिलाकर मिला रही थी।
खबरों के अनुसार यह महिला लम्बे समय से घुटन के दर्द से निजात पाने के लिए सांपों से बनी शराब का इस्तेमाल कर रही थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक गर्मी के कारण सांप और अन्य ठंडे रकत वाले प्राणी निष्क्रियता की अवस्था में चले जाते हैं जिसे वैज्ञानिक भाषा में “एस्टीवेशन” कहते हैं। इस दौरान ऎसे जीवों की जैविक गतिविधियां शून्य के बराबर हो जाती हैं और श्वसन तथा शारीरिक क्रियाओं को बरकरार रखने के लिए वे शरीर में संचित वसा का इस्तेमाल करते हैं। अनुकूल तापमान आने पर ऎसे जीव फिर सक्रिय होने लगते हैं।
दूसरी तरफ वन्यजीवों के उपयोग से बीमारीयां दूर होने की बात का किसी भी जीव विज्ञानी या चिकित्सक ने समर्थन नहीं किया है।