चेटक सिनेमा मालिक ने नेताओं और अफसरों की मिली भगत से करोड़ों की पार्किंग की जमीन हड़पी

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उदयपुर। चेटक सर्कल पर बड़ा भू-डाका डाला गया है। शहर की सबसे कीमती करीब चार हजार स्क्वायर फीट सार्वजनिक जमीन को सिनेमा मालिक के निजी हित के लिए दे दिया गया है। सिनेमा मालिक ने पार्किंग की इस जमीन पर चेटक कॉम्पलैक्स का निर्माण भी शुरू करवा दिया है। पता चला है कि इस भू-डाके में बड़े अफसरों और नेता लोगों ने अच्छी चांदी काटी है।
बताया गया है कि चेटक सिनेमा के निर्माण के समय भू-उपयोग स्वीकृति क्रमनोरंजनञ्ज खाते में रियायती दर से प्राप्त की गई, जो सिनेमा रहने तक ही थी, लेकिन सिनेमा मालिक को बगैर भू-उपयोग परिवर्तन के व्यावसायिक कॉम्पलेक्स का निर्माण करने की स्वीकृति नगर-निगम ने दे दी। यह स्वीकृति निगम की हाई पावर कमेटी ने 9 फरवरी 2013 की बैठक में दी। बताया गया है कि केंद्र में नरसिंह राव सरकार के समय सन् 1992 में तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास ने अंतर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव उदयपुर में आयोजित करवाया था। इसमें अभिनेत्री जया बच्चन ने भी भाग लिया था। इस समारोह का उद्घाटन चेटक सिनेमा में हुआ। तब तत्कालीन जिला कलेक्टर ने चेटक सिनेमाघर के सामने सड़क पर पार्किंग की फौरी व्यवस्था करवाई थी। इसके लिए जंजीरे लगाकर भूखंड को अलग किया गया। ये जंजीरे यूआईटी ने लगवाई। बाद में सिनेमा प्रबंधन ने इस भू-भाग पर पक्की चारदीवारी बना ली। साथ ही इसके किनारे खोखे लगाकर किराया लेना शुरू कर दिया। इस प्रकार कुछ समय के लिए की गई पार्किंग की व्यवस्था के जरिये करोड़ों की सार्वजनिक जमीन हथिया ली गई।
आखिर हुआ क्या : नगर निगम ने सिनेमा मालिक को 26411 वर्गफीट जमीन पर निर्माण स्वीकृति दे दी है। इसके लिए सिनेमा मालिक ने 1963 का नक्शा लगाया। यह नक्शा सिनेमा की इमारत का है, जिसमें पार्किंग की जमीन शामिल नहीं है, तो फिर पार्किंग की जमीन पर निर्माण कैसे होने दिया जा रहा है। यह रहस्य समझ में नहीं आ रहा है।
सेट बैक का क्या हुआ : निर्माण स्वीकृति के अनुसार इमारत के सामने 40 फीट और बाकी दिशाओं में 20-20 फीट सेट बैक छोडऩा आवश्यक किया गया है। यह सेट बैक निर्माता को खुद की जमीन पर छोडऩा होता है, जिसकी पालना भी नहीं की गई है।
निर्माण स्वीकृति गैर कानूनी : नगर निगम की निर्माण स्वीकृति में राजस्व विभाग से जमीन की नपती की रिपोर्ट नहीं मांगी गई। सर्वेयर ने भी निर्माण समिति को धोखे में रखा। भू-उपयोग परिवर्तन भी नहीं किया गया। प्रश्न यह भी है कि सार्वजनिक जमीन पर निर्माण स्वीकृति कैसे दी जा सकती है।
॥यह जमीन मेरी है। मेरे पास महाराणा का दिया हुआ पट्टा है।
– सैफुद्दीन बोहरा, सिनेमा मालिक
॥फाइल में कागज तो सारे हैं। यदि अनियमितता हुई है, तो जांच करवा ली जाएगी।
-हिम्मतसिंह बारहठ, कमिश्नर नगर निग

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