उदयपुर/प्रतापगढ़. वो बेटी थी। या मां की कोई और मजबूरी थी। 24 घंटे भी नहीं हुए थे दुनिया में आए। लेकिन मानवता के दुश्मनों ने दुधमुंही को जिंदा जमीन में गाड़ दिया। निर्ममता की यह घटना प्रतापगढ़ के अचनेरा क्षेत्र स्थित बडग़ांव कला गांव की है। ग्रामीण सोहनलाल मीणा ने रविवार सुबह 11:30 बजे खेत में बच्ची के रोने की आवाज सुनी। वहां पहुंचे तो देखा उसकी सांसें चल रही थीं। सिर जमीन के बाहर था और धड़ मिट्टी व घास में दबा था। ऊपर कीड़े रेंग रहे थे।
सोहन ने अन्य ग्रामीणों को बुलाया। बच्ची को अचनेरा पीएचसी पहुंचाया। डॉ. विष्णु शर्मा ने आधे घंटे तक मासूम को बचाने की कोशिश की, लेकिन बचा नहीं सके। डॉ. शर्मा के मुताबिक बच्ची का जन्म शनिवार रात करीब आठ से नौ बजे के बीच हुआ था। उसे रात में ही गाड़ा गया था। बच्ची किसकी है। यह अभी तक पता नहीं चल पाया है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। पोस्टमार्टम के बाद शव को दफना दिया है।
दूसरे दिन मामले को स्थानीय पुलिस ने छानबीर तेज कर दी है। एएसपी गोवर्द्धन राम सांकरिया ने बताया कि गांव में सभी लोगों से इस बारे में पूछताछ की जा रही है। बच्ची किसकी है, इसका पता लगाया जा रहा है। इसके साथ ही गांव की सभी नई प्रसुताओं से भी जानकारी ली ली जा रही है।
एंबुलेंस समय पर आती तो बच सकती थी जान
सोहन लाल और ग्रामीणों ने बच्ची के गड़े होने की सूचना पुलिस को दी। फिर उसे अस्पताल ले जाने के लिए 108 एंबुलेंस को फोन किया गया। लेकिन एंबुलेंस एक घंटे देरी से पहुंची। बच्ची को अचनेरा पीएचसी ले जाया गया, जहां डॉ. विष्णु शर्मा ने इलाज किया। उपचार शुरू करने के आधे घंटे बाद ही मौत हो गई।
ग्रामीणों ने बताया कि एंबुलेंस समय पर पहुंच जाती तो बच्ची की जान बचाई जा सकती थी। डॉ. शर्मा ने बताया कि अस्पताल लाने तक नवजात जिंदा थी। बिना कटी नाल होने से उसके शरीर में जहर फैल गया था।