उदयपुर. मेवाड़ क्षेत्र में ठंडी राखी से गवरी की धूम शुरू हो गई है। सवा माह तक आदिवासी समाज के लोग विभिन्न स्थानों पर जाकर गवरी का मंचन करेंगे। इसमें गवरी के पात्र प्रत्येक दिन गौरज्या देवी, पार्वती व महादेव की कथाओं, महाकाली द्वारा दैत्यों का विनाश, कान-गुंजरी जैसे प्रसंगों का मंचन करते हैं।
इसमें भाग लेने वाले लोग सवा माह तक अपने परिवार से अलग रहते है तथा ब्रहमचारी व्रत का पालन करते हैं। पैरों में जूते, चप्पल नहीं पहनते हैं तथा गांव के चौराहे या मंदिर में ही सोते हैं