उदयपुर। बाघदड़ा नेचर पार्क में रविवार को नर और मादा मगरमच्छ मृत मिले। दोनों के शरीर पर जख्मों को देखते हुए अधिकारी इनके बीच टेरेटरी (इलाके) के लिए संघर्ष को मौत का कारण मान रहे हैं। शहर से करीब 15 किमी दूर इस नेचर पार्क में दो मगरमच्छ के मरने की सूचना पर वन विभाग की टीम पहुंची।
सहायक वन संरक्षक केसर सिंह ने बताया कि मौके पर ही तीन चिकित्सकों की टीम ने पोस्टमार्टम किया। टीम के मुताबिक मादा मगरमच्छ के शरीर के बाहरी और अंदरूनी हिस्सों में चोट और दांत से बने घाव मिले। नर मगरमच्छ की पसलियां टूट गई थीं।इससे इस बात को जोर मिला कि दोनों भिड़ गए थे।
दोनों का अंतिम संस्कार बाघदड़ा पार्क में ही कर दिया गया। इस दौरान पुलिस और राजस्व विभाग के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। सहायक वन संरक्षक ने बताया कि मरने वाला नर करीब सात साल का था, जबकि मादा की उम्र चार साल के आसपास है।
शरीर पर मिले जख्म
मृत मगरमच्छ नेचर पार्क के तालाब में पड़े थे। दोनों के शरीर पर जख्मों के निशान मिले हैं। अधिकारियों का मानना है कि ये निशान एक-दूसरे को काटने से हुए। वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि मगरमच्छ के बीच कभी मादा तो कभी इलाके के लिए लड़ाई हो जाती है। संघर्ष इस कदर होता है, जिसमें जान भी चली जाती है।
यहां कुदरत का नजारा करें, लेकिन संभल कर
बाघदड़ा नेचर पार्क में डेम पर बड़ी संख्या में शहर के लोग जाते हैं। रविवार और छुट्टियों वाले दिन कई परिवार और युवा पिकनिक मनाने आते हैं। यह इलाका मगरमच्छों के लिए संरक्षित है। पैंथर, अजगर, हायना (जरख) और दूसरे वन्यजीवों की शरण स्थली भी है। नेचर पार्क में दुर्लभ हरे रंग का कबूतर (ग्रीन पीजन) भी पाया जाता है। वन विभाग ने यहां इको टूरिज्म सेंटर भी डवलप किया है।
पिछले महीने छोड़ा था नर भक्षी मगरमच्छ
बागदड़ा नेचर पार्क के रिजर्व एरिया में 17 मगरमच्छ प्राकृतिक वातावरण में रह रहे हैं। पिछले महीने जवाई बांध से भी एक बड़ा मगरमच्छ यहां छोड़ा गया था। यह मगरमच्छ जवाई में लोगों पर भी हमला कर चुका था। करीब एक क्विंटल वजनी इस मगरमच्छ को वन्यजीवों के जानकार खतरनाक बताते हैं।