उदयपुर। सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई द्वारा पेश की गई पूरक चार्जशीट में महत्वपूर्ण खुलासा हुआ है कि कुख्यात अपराधी सोहराब और तुलसी गुजरात के आईपीएस अभय चूड़ासमा और अन्य पुलिस अधिकारियों के लिए काम करते थे। सीबीआई ने उदयपुर के अपराधी शराफत अली उर्फ कालू व मुश्ताक अहमद के बयानों के आधार पर इस बात की पुष्टि करते हुए न्यायालय में चार्जशीट पेश की है। एक अंग्रेजी दैनिक अखबार में छपी खबर के अनुसार सीबीआई को अभय चूड़ासमा के फर्जी मुठभेड़ में शामिल होने का शक था, लेकिन पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे। हाल ही में मुंबई की एक अदालत में आरोप पत्र पेश किया गया, जिसमें उदयपुर के शराफत अली के बयान से यह खुलासा हुआ कि चूड़ासमा फर्जी मुठभेड़ में लिप्त थे।
शराफत अली के बयान: शराफत अली ने सीबीआई को सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दिए हैं, जिन्हें अब बदला नहीं जा सकता। अली ने बताया कि जब वह आम्र्स एक्ट के मामले में उदयपुर जेल में बंद था। उस दौरान वह तुलसी प्रजापति से मिला था और तुलसी ने उसको बताया था कि जब गुजरात में उसको चूड़ासमा ने गिरफ्तार किया था, तब चूड़ासमा सोहराबुद्दीन और तुलसी की गतिविधियों से खुश नहीं थे। तुलसी ने चूड़ासमा को कहा था कि हम क्या गलत कर रहे हैं और आपके सारे निर्देशों को मान रहे हैं। चूड़ासमा ने तुलसी को विश्वास में लेकर सोहराबुद्दीन का पता जाना था, तब चुड़ासमा ने कहा था कि हम उसका एनकाउंटर नहीं करेंगे। बस कोई छोटे-मोटे मामले में जेल में डाल देंगे। लेकिन बाद में सोहराबुद्दीन को गिरफ्तार कर एक फर्जी मुठभेड़ में उसे मार दिया गया।
मुश्ताक अहमद के बयान
उदयपुर के ही 55 वर्षीय अपराधी मुश्ताक के बयान भी आरोप पत्र में दर्ज है, जिसमें मुश्ताक ने बयान दिए है कि सोहराबुद्दीन की उससे साबरमति जेल में मुलाकात हुई थी, तब सोहराबुद्दीन ने उसको बताया था कि गुजरात के कई बड़े पुलिस अधिकारियों से उसके अच्छे संपर्क है। उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने चूड़ासमा को सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ के मामले में अप्रेल, 2010 में गिरफ्तार कर लिया था। चूड़ासमा ने सोहराबुद्दीन और तुलसी का एनकाउंटर करना स्वीकारा था। शराफत और मुश्ताक के बयान सीबीआई ने चूड़ासमा की गिरफ्तारी के बाद लिए थे। सोहराब और तुलसी क्रमश: 2005 और 2006 में फर्जी एनकाउंटर में मारे गए थे। उल्लेखनीय है कि सीबीआई द्वारा आरोप पत्र में राजस्थान के तत्कालीन गृहमंत्री और प्रतिप्रक्ष नेता गुलाबचंद कटारिया सहित चार जनों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई है, जिसमें कटारिया की जमानत पर पांच जुलाई को सुनवाई है।