उदयपुर, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित मासिक नाट्य संध्या ‘‘रंगशाला’’ में नाटक ‘‘मंटो मंत्रा’’ में ज़िदगी के उस यथार्थ को पैनी निगाह से देखने का मौका मिला जिससे आम तौर पर समाज कतराता है।
शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में रविवार मुंबई के रंगकर्मियों द्वारा सलीम आरिफ के निर्देशन में मंटो की तीन कथाओं का मंचन किया गया। बेहतरीन अभिनय, मंच सज्जा तथा प्रकाश संयोजन से प्रस्तुति ने दर्शकों को बांधे रखा। सआदत हसन मंटो के जन्म शताब्दी वर्ष में मंटो की तीन कहानियों में पहली कथा ‘‘हतक’’ थी जिसमें एक वैश्या सौगंधी के जीवन को बताया कि किस प्रकार उम्र ढलने के खौफ के साथ जीवन जीती हैं। दूसरी कथा ‘‘काली सलवार’’ से थी जिसमें एक वैश्या सुल्ताना और उसके ग्राहक पर आधारित थी। तीसरी कहानी ‘‘नंगी आवाज़ें दो भाईयों गामा और भोलू पर केन्द्रित थी जो भोलू विवाह कर दुल्हन लाते हैं किन्तु आस पड़ौस के वातावरण से दोनों में नहीं बनती इस भाव को भोलू की भाभी समझ जाती है।
तीनों कथाओं में निर्देशकीय कसावट के साथ साथ चरित्र का बिम्ब उभर कर सामने आया वहीं कलाकारों ने अपने अभिनय से प्रस्तुति को प्रभावशाली बनाया।