उदयपुर, जहाँ एक और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी आँखों में भावी प्रधान मंत्री का सपना संजोय है वहीँ उनके विकास के प्रतिक गुजरात में मुसलमान आज भी सुरक्षित नहीं है और उन्हें इज्ज़त से अपने कारोबार भी नहीं करने दिया जा रहा है । नरेन्द्र मोदी के गुजरात में राज की एक हकीकत यह भी है कि कुछ अरबपतियों के तेजी से ‘गरीब’ होने की ओर बढ़ने की खबरों के बीच गुजरात के मुसलमान कारोबारियों के लिए बुरी खबर है। एक तरफ अमेरिका के सांसद नरेंद्र मोदी से मिलने और गुजरात में बिजनेस की संभावनाओं को जांचने आ रहे हैं तो दूसरी तरफ गुजरात में पिछले एक महीने में दस मुस्लिम व्यापारी अपना बिजनेस बंद करने पर मजबूर हो गए हैं। ताजा मामला इसी हफ्ते के गुरुवार का है। अहमदाबाद से 90 मिनट की दूरी पर वीरमगम हाइवे पर होटल चलाने वाले मुस्तफा पटेल ने अपना होटल बंद कर दिया है। उनका कहना है कि वह रोजाना मिलने वाली धमकियों के चलते होटल बंद करने पर मजबूर हुए हैं।
मुस्तफा पटेल ने बताया कि स्थानीय नेताओं ने 9 फरवरी को जबरदस्ती उनका व्यवसाय बंद करा दिया। उनकी पेटीशन के मुताबिक अदालती आदेश होने के बावजूद पुलिस ने उन्हें सुरक्षा नहीं मुहैया कराई। माइनॉरिटी कमीशन के चेयरमैन वजाहत हबीबुल्लाह ने बताया कि कमीशन को ऐसी शिकायतें मिली हैं कि मुसलमानों को व्यवसाय नहीं करने दिया जा रहा है। इस बारे में गुजरात सरकार से रिपोर्ट मांगी गई है।
इससे पहले कमीशन को छोटा उदेपुर के नौ मुस्लिम व्यापारियों का बिजनेस चौपट किए जाने की शिकायतें मिल चुकी हैं। शिकायत करने वाले व्यापारियों का कहना है कि बरोज गांव के सरपंच जयंती रथवा ने बिजनेस में अपने कंपटीटर अब्दुल घानी का लग्जरी ट्रांसपोर्ट का धंधा हथियाने के लिए दंगा कराया। 12 फरवरी को इलाके में मुस्लिम व आदिवासियों के बीच झड़पें हुईं। एक शिकायतकर्ता का कहना है कि 12 फरवरी को अल्पसंख्यकों के कई प्रतिष्ठानों पर हमला हुआ और उन्हें आग के हवाले कर दिया गया। एसपी-डीआईजी सब लोग वहां गए, लेकिन अभी तक कोई भी नहीं पकड़ा गया है।
हाल ही मे एक एनजीओ ‘अनहद’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दंगाइयों ने प्लास्टिक के गोदाम जला डाले। एफआईआर में उनके नाम भी दर्ज हैं, लेकिन एक लोकल डॉन टाइप के आदमी के सपोर्ट की वजह से अभी तक पकड़े नहीं गए हैं। उक्त डॉन के राजनीतिक रिश्ते काफी मजबूत बताए जाते हैं। जिन लोगों के गोदाम और दुकानें जलाई गईं, जब उन्होंने दोबारा अपना बिजनेस शुरू करने की कोशिश की तो 8 मार्च को दोबारा उनकी दुकानों और गोदामों को आग के हवाले कर दिया गया। इस घटना के तीन दिन बाद एक आरोपी रंगे हाथों पकड़ा गया।
नेशनल माइनॉरिटी कमीशन में शिकायत करने वाले एक व्यापारी का कहना है कि वो (पकड़ा गया आरोपी) 3-4 लोगों के साथ आया था। पुलिस ने जब उसके बयान की वीडियो बनाई तो उससे कहा कि बयान यही देना कि गलती से मौके पर बीड़ी गिर गई थी जिससे आग लगी। बताते चलें कि उस इलाके में मुसलमान और आदिवासी सैकड़ों वर्षों से साथ-साथ रहते आए हैं। व्यापार से बाहर निकालकर इन लोगों के बीच वैमनस्य फैलाने की यह साजिश की जा रही है।
जिन नौ लोगों को अपना व्यापार बंद करना पड़ा है, उनके नाम और व्यापार की प्रकृति इस तरह है- अहमद आरिफ (खनन), फारुख भाई (बिजली उत्पादन संयंत्र), याकूब मोहम्मद (खनन), सैफुदीन अली (बिजली उत्पादन), अहमद खोका (बिजली), शबीर भाई (खनन), माजिद खान (बिजली) और हारुन अब्दुल मलाझेर (खनन), कासिम अहमद (स्क्रैप डीलर)।
नेशनल माइनॉरिटी कमीशन से हुई इस शिकायत पर गुजरात सरकार के प्रवक्त और राज्य के वित्त मंत्री नितिन पटेल ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। ऐसे किसी भी आरोप से साफ इन्कार करते हुए नितिन पटेल ने कहा कि गुजरात में हजारों मुसलमान व्यापारी हैं जो गुजरात की तरक्की का हिस्सा हैं। सैकड़ों मुसलमान व्यापारी अहमदाबाद के अगल-बगल ही व्यापार कर रहे हैं।
नितिन पटेल का कहना है कि राज्य में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है जहां व्यापारी किसी व्यक्ति के द्वारा सिर्फ इसलिए बिजनेस बंद करने को प्रताड़ित किए गए हों, क्योंकि वह अल्पसंख्यक हैं। यह गुजरात है और यहां सभी समुदायों और धर्मों के लोगों को बगैर किसी भेदभाव के आगे बढ़ने का मौका मिलता है। नेशनल माइनॉरिटी कमीशन को की गई शिकायतें गुजरात की तस्वीर पर धब्बा लगाने के लिए की गई हैं।