फंक्शनल मैनेजमेंट पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार शुरू, हिस्सा ले रहे हैं देश विदेश के 350 विषय विशेषज्ञ
उदयपुर. फंक्शनल मैनेजमेंट (कार्यात्मक प्रबंधन) के वर्तमान दौर में जो सबसे बड़ी कमजोरी दिखाई देती है, वो मैनेजमेंट स्किल्स को पढ़ाने वाले विशेषज्ञों की। इसके अतिरिक्त प्रबंधन के पाठ्यक्रम और आधारभूत सुविधाओं का नहीं होना भी इसकी राह में बड़ी बाधाएं। बेहतर फंक्शनल मैनेजमेंट के लिए जरुरी है कि इन कमियों को दूर किया जाए तथा इनके स्थान पर उच्च स्तरीय व्यवस्थाएं की जाए। यह जानकारी सौराष्ट्र विश्वविद्यालय राजकोट के डायरेक्टर प्रो. पीएस चौहान ने दी। अवसर था, जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विवि के संघटक प्रबंधन अध्ययन संकाय की ओर से आयोजित फंक्शनल मैनेजमेंट के विभिन्न आयामों पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन का। प्रतापनगर स्थित एमबीए सभागार में हो रहे इस सेमिनार में देश विदेश के 350 विषय विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं।
टीम वर्क से ही होगी लीडरशिप
अमेरिका की ड्रेक्सेल यूनिवर्सिटी के प्रो. क्रिश्चियन रेसिक ने बताया कि फंक्शनल प्रबंधन का आधार टीम वर्क है। तभी किसी मामले में लीडरशिप प्राप्त की जा सकती है। फंक्शनल मैनेजमेंट के पाठ्यक्रमों में भी सबसे पहले टीम वर्क से कार्य करने की भावना को सिखाया जाता है।
जीडीपी से बढ़ी है भूमिका
राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर 5 फीसदी तक है। जो काफी कम है। इस दर को बढ़ाने में फंक्शनल मैनेजमेंट की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। किस स्तर पर कैसे क्या होना चाहिए आदि बातों की पूर्वाभ्यास करते हुए इन्हें निर्धारित किया जा सकता है। किस प्रोजेक्ट से आमजन पर क्या असर पड़ेगा, राजस्व पर क्या असर पड़ेगा इस पक्ष को भी ध्यान में रखना बेहद आवश्यक है।50 पत्रों का वाचन : फंक्शनल मैनेजमेंट और आईटी से जुड़े विभिन्न 150 से अधिक शोध पत्रों का वाचन हुआ। इसमें मुख्य रूप से आईटी, रूरल डवलपमेंट, मार्केटिंग तथा ह्युमन रिसोर्सेस आदि पर शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।