उदयपुर , जल एवं जल स्त्रोतो के प्रभावी प्रबंधन तथा प्रत्येक व्यक्ति के लिये समान रूप से आवश्यक जल मात्रा उपलब्ध कराने के लिये नागरिक, समाज, प्रशासन, उद्योग, वैज्ञानिक जगत्, युवा वर्ग, महिला वर्ग सभी की प्रभावी व निरन्तर सहभागिता जरूरी है।उदयपुर एक ऐसा उदाहरण है जहां व्यापक हित में यदा कदा होने वाले द्वंदो के बावजुद, जल व झीलों के संरक्षण में सरकार, प्रशासन, अकादमिक जगत् व नागरिक समाज ने परस्पर सहयोग से जल की सुरक्षा व संरक्षण के प्रयास जारी रखे हुए है।
यह विचार यहां विश्व जल दिवस पर डा. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट, सी.डी.टी.पी. परियोजना विद्या भवन पॉलिटेक्निक, झील संरक्षण समिति, ग्लोबल वाटर पार्टनरशिप, इण्डिया (आईडब्ल्यूपी) के तत्वावधान में ” जल सहयोग˝ विषयक गोष्ठी में उभरे। गोष्ठी के प्रारम्भ में ग्लोबल वाटर पार्टनरशिप द्वारा फिल्म “जल परिपूर्ण व जल सुरक्षित विश्व के लिए जल सहयोग” का प्रदर्शन किया गया।
डा. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट मे आयोजित संवाद मे मुख्य वक्ता विद्या भवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य अनिल मेहता ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के दिशा-निर्देशानुसार 31 मार्च तक शहरी क्षैत्र के समस्त बरसाती नालों व नाली गंदे पानी के प्रवाह की नालियों की सफाई जरूरी है। उदयपुर में प्रशासन व नागरिकों को मिलकर नालों-नालियों की सफाई सुनिश्चिित करानी चाहिए ताकि जल-प्लावन की स्थिति पैदा नहीं हो। मेहता ने कहा कि उदयपुर मौसम जनित (मिटिरियोलॉजिकल), कृषि जनित(एग्रीकल्चरल), जल विज्ञानिय (हाइड्रोलोजिकल) अकालों से प्रभावित रहा है अतः मानसून पश्चात 31 अक्टूबर तक बरसात की मात्रा, वितरण, कुंओं तालाबों, झीलों में जल स्तर का आंकलन कर पेय जल एवं सिंचाई जल वितरण, उगाई जाने वाली फसलों की आयोजना करनी चाहिये।
झील संरक्षण समिति के डा. तेज राजदान ने कहा कि शहरीकरण, प्रदूषण एवं अतिक्रमण ने जहाँ वर्षा तन्त्र तथा जल प्रवाह व्यवस्था को को नुकसान पहुंचाया है, वही कभी बाढ़ तथा कभी सूखे की आपदाओं ने जन स्वास्थ्य व आजीविका को संकट में डाला है।
झील हितैषी नागरिक मंच के हाजी सरदार मोहम्मद तथा नूर मोहम्मद ने कहा कि झीलों में निरन्तर गिर रहे कचरे के लिए नागरिक व प्रशासन, दोनों जिम्मेदार हैं। समाधान के लिए भी दोनों को जागरूक होना पड़ेगा।
मेवाड़ जनजाति कल्याण समिति के सचिव दयालाल चौधरी ने कहा कि देश की बढती हुई जनसंख्या के कारण पानी का अभाव आने वाले समय में रहेगा। राजस्थान में स्थिति ओर भी भयंकर है। ऐसी स्थिति में महिलाओं और किसानों को जागृत करना पड़ेगा तभी इस समस्या से हम लड़ सकते हैं।