हैकिंग का सिलसिला जारी है. पिछले हफ्ते हैकरों ने क्लिक करें फेसबुक पर निशाना साधा था और अब उनका अगला क्लिक करें शिकार बने हैं ऐपल के कंप्यूटर. ऐपल ने कहा है कि उसके कंप्यूटर साइबर सेंधमारी का शिकार हुए हैं और इनके पीछे वही लोग शामिल हैं जिन्होंने फेसबुक को अपना निशाना बनाया था.
हालांकि आई-फोन बनाने वाली इस कंपनी ने यह भी कहा है कि उसकी बहुत कम मशीनों पर इसका असर पड़ा है और कंप्यूटरों से किसी तरह की जानकारी के क्लिक करें चोरी होने का भी कोई सबूत नहीं है.
पिछले हफ्ते फेसबुक ने कहा था कि उसके कर्मचारियों के लैपटॉप की हैकिंग के तार क्लिक करें चीन से जुड़े हुए हैं.
नुकसानदेह सॉफ्टवेयर
हैकिंग के हादसे के बाद ऐपल ने कहा है कि उपभोक्ताओं को क्लिक करें नुकसान पहुंचाने वाले सॉफ्टवेयर के हमलों से बचाने के लिए नया सॉफ्टवेयर जारी किया जाएगा.
कैलिफोर्निया की कंपनी कपरटिनो ने एक बयान में कहा है,“ऐपल ने क्लिक करें नुकसान पहुंचाने वाले सॉफ्टवेयर की पहचान की है. इससे मैक के कुछ कंप्यूटरों पर असर पड़ा है.”
कंपनी ने कहा,“नुकसान पहुंचाने वाला यह सॉफ्टवेयर ऐपल के खिलाफ हमलों में शामिल था और सॉफ्टवेयर बनाने वाले इंजीनियरों की एक क्लिक करें वेबसाइट के जरिए फैला था. हम नुकसान पहुंचाने वाले इस सॉफ्टवेयर के स्रोत की पहचान के लिए कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ काम कर रहे हैं.”
साइबर सेंधमारी
इससे पहले चीनी सेना की एक खुफिया शाखा के बारे में कहा जा रहा था कि वह दुनिया के सबसे सफल साइबर हमलावर गुटों में से एक है.
साइबर सुरक्षा से जुड़ी अमरीकी फर्म मैनडियांट के मुताबिक ‘यूनिट 61398’ के बारे में यह माना जाता है कि इस संगठन ने दुनिया भर के कम से कम 141 संगठनों के सैंकड़ों टेराबाइट आंकड़ें बड़े ही करीने से उड़ाए हैं.
मैनडियांट ने इस साइबर सेंधमारी की जड़ें शंघाई की एक गुमनाम-सी इमारत में खोजी हैं. फर्म के मुताबिक इस इमारत का इस्तेमाल चीनी सेना की ‘यूनिट 61398’ करती है.
हालांकि चीन ने हैकिंग के आरोपों से इनकार किया है और मैनडियांट की रिपोर्ट की वैधता पर सवाल उठाया है.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हॉन्ग लेई ने कहा,“साइबर सेंधमारी अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है और हैकिंग के पीछे अनजान लोग होते हैं.”
सो. बी बी सी