बांसवाडा, बीच सडक पर यदि घंटों तक महिला निर्वस्त्र पडी रहे और उससे दस कदम की दूरी पर पुलिस नियंत्रण कक्ष और ठीक सामने किसी राजनैतिक दल का कार्यालय हो उस पर भी यदि किसी का हृदय नहीं पसीजे तो यहीं लगता कि व्यवस्थाओं के साथ मानवीय संवेदनाएं निर्वस्त्र हो चुकी है। शुक्रवार को शहर के हृदय स्थल माने जाने वाले कुशलबाग मैदान के सामने ही ऐसा ही शर्मनाक वाकया देखने को मिला। लगभग दो घंटे तक विक्षिप्त समझी जाने वाली महिला इसी हाल में पडी रही जब वहां से अधिवक्ता शिवप्रसाद जोशी निकले तो उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता मनोजसिंह राठौड को इसकी जानकारी दी। जिस पर राठौड ने महिला को वस्त्र ओढाए, इसी दौरान वहां सामाजिक कार्यकर्ता अनुराग जैन पहुंचे तो उन्होंने भी वस्त्र मंगवाए। जब औरत को हाथ लगाकर उठाया गया तब पता चला कि वह बीमार है, तो उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए ऑटो रूकवाने की कोशिशें की गई लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। बाद में जैसे-तैसे एक ऑटो चालक को तैयारकर इस महिला को महात्मा गांधी चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया। बांसवाडा में ऐसी घटनाएं आम हो चुकी है। पिछली बार जिला कलक्टर कुंज बिहारी गुप्ता की पहल पर एक महिला को उदयपुर पहुंचवाया गया लेकिन दुर्भाग्य से वहां भी उसे भर्ती नहीं किया गया, जिस पर गुप्ता ने एक स्वयं सेवी संस्था से सम्पर्क कर वहां भर्ती करवाया। शुक्रवार को भी जब जिला कलक्टर को इसकी जानकारी दी गई तब दस मिनट में ढूंढते व्यवस्थाएं चिकित्सालय तक पहुंची। इस क्रम में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक प्रफूल्ल चौबीसा ने बताया कि माह भर पूर्व बैठक हुई थी जिसमें स्वयं सेवी संस्था को सर्वे का आग्रह किया गया लेकिन संस्था ने कोई रिपोर्ट नहीं दी है। उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए नियमनुसार पुलिस का दायित्व है कि पुलिस को ऐसे लोगों को चिह्नित कर एसडीओ को रिपोर्ट देनी होती है लेकिन ऐसा क्यों नहीं हो पा रहा है, यह समझ से परे है। इधर स्वयंसेवी संस्था के मनोज सिंह राठौड ने बताया कि बैठक के बाद उन्हें फ ॉर्म दिया गया लेकिन फॉर्म में इतनी ज्यादा पेचिदगिया है कि उसे कोई भी आसानी से पूर्ण नहीं कर सकता। शहर के अंदर नगर परिषद और अन्य विभागों के कई भवन धूल खा रहे है लेकिन व्यवस्थाओं का मक्कडजाल इसी तरह निर्वस्त्र होनी की विवशताएं जता रहा है।