7 माह की मासूम से दुष्कर्म: कोर्ट ने दी फांसी की सजा, राजस्थान में पहली बार सुनाया गया इतना तेज फैसला

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अलवर के लक्ष्मणगढ़ में 7 माह की बच्ची का अपहरण कर दुष्कर्म के मामले में एससी-एसटी कोर्ट ने आरोपी को फांसी की सुनाई है। पोस्को एक्ट के नए संसोधन लागू होने के बाद 7 माह की बच्ची का अपहरण कर दुष्कर्म के मामले में आरोपी को दोषी ठहराते हुए शनिवार तक फैसला सुरक्षित रख लिया था जिस पर कोर्ट ने फैसला सुनाया।
राजस्थान में ये पहला ऐसा मामला है जिसमें पोक्सो एक्ट के तहत इतने कम समय में कोर्ट ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई है।
10 मई 2018 को दर्ज हुआ था मुकदमा
लक्ष्मणगढ़ थाने में 10 मई 2018 को 7 माह की बालिका के पिता ने लक्ष्मणगढ़ थाना क्षेत्र निवासी 19 वर्षीय युवक पिंटू पुत्र सोहनलाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी की पिंटू ने 9 मई 2018 की शाम उसके घर आया और उसकी नेत्रहीन भाभी के पास सो रही उसकी बच्ची को उठाकर ले गया। इसके बाद आरोपी ने दुष्कर्म किया और फिर उसे लहूलुहान हालत में गांव के फुटबॉल फील्ड पर छोड़कर फरार हो गया। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी पिंटू को गिरफ्तार किया था।
12 पेशियों के बाद आया फैसला
न्यायाधीश ने 22 अदालती कार्य दिवसों में 12 पेशियां लगाते हुए मंगलवार को अंतिम बहस सुनने के बाद बुधवार को फैसले की तारीख तय की थी। लेकिन समय अभाव के कारण आरोपी को सजा तो नहीं सुनाई लेकिन सभी धाराओं में दोषी मानते हुए सजा के लिए 21 जुलाई मुकर्रर की।
विशिष्ट न्यायाधीश जगेंद्र अग्रवाल ने सजा के बिंदुओं पर दोनों पक्षों की बहस सुनी और बहस के बाद आरोपी को दोषी मानते हुए 21 जुलाई 2018 शनिवार को सजा का दिन मुकर्रर किया।
आरोपी के खिलाफ भारतीय धारा 363, 366, 376 ए बी 5एम/6 पोक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज था। विशेष लोक अभियोजक कुलदीप जैन ने बताया कि 21 जून को प्रसंज्ञान लेते हुए चार्ज लगाया गया था और 28 जून से स्पीडी ट्रायल अपनाते हुए प्रतिदिन सुनवाई की थी।
दंड विधि संशोधन के बाद राजस्थान में पहला मामला 12 वर्ष से कम आयु की बच्चियों से दुष्कर्म के मामले में कठोर सजा देने के लिए 21 अप्रेल 2018 को अध्यादेश के जरिए दंड विधि संशोधन अस्तित्व में आया था। इसके बाद पोक्सो एक्ट में 7 माह की बच्ची से दुष्कर्म का यह पहला मामला था।
कुलदीप जैन ने बताया कि राजस्थान में ये पहला मामला होगा जब पोक्सो एक्ट में संशोधन के बाद कम समय में अदालत द्वारा आरोपी पर फैसला सुनाया गया। ये राजस्थान का पहला और भारत का तीसरा मामला है जिसमें जल्दी सजा हुई।

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