उदयपुर। राजस्थान के राजसमन्द जिले में श्रमिक का क़त्ल कर ह्त्या कर विडियो वायरल करने वाले हत्यारे का समर्थन कर माहोल खराब करने की कोशिश करने वालों पर अब पुलिस सख्त कारवाई करेगी। हैवान हत्यारे को व्हात्सप ग्रुप और फेसबुक पर कुछ लोग जय जय कार महिमा मंडित कर रहे है साथ ही भड़काऊ पोस्ट भी कर रहे है जिससे की सम्प्रद्यिक माहोल खराब होने की पूरी आशंका है।
हत्यारे का पक्ष लेकर भड़काऊ पोस्ट करने वालों पर होने वाली कारवाई को लेकर बीबीसी हिंदी वेब साईट में भी खबर छापी जिसमे बताया गया है कि राजसमंद हत्याकांड के बाद राजसमंद और उदयपुर के कुछ व्हाट्सएप ग्रुपों में शंभुलाल की जय जयकार की गई है.
राजस्थान पुलिस का कहना है कि शंभूलाल का समर्थन करने वाले लोगों को चिन्हित किया जा रहा है और अगले एक-दो दिनों में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया जाएगा.
उदयपुर के पुलिस महानिरीक्षक आनंद श्रीवास्तव ने बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा से कहा, “जघन्य अपराध करने वाले शंभूलाल का समर्थन कुछ व्हास्टएस ग्रुपों में किया गया है. हम धार्मिक उन्माद भड़काने वालों की पहचान कर रहे हैं. अगले एक-दो दिनों में गिरफ़्तारियां की जाएंगी.” आनंद श्रीवास्तव स्वीकार करते हैं कि सोशल मीडिया की वजह से तनाव बढ़ रहा है और ऐसे वीडियो को वायरल होने से पहले रोकना मुश्किल होता जा रहा है.
वो कहते हैं, “हमारे पास जो क़ानूनी शक्तियां हैं उनके तहत हम वीडियो वायरल होने के बाद इसके पीछे जो लोग हैं, उन्हें गिरफ़्तार तो कर सकते हैं, लेकिन वीडियो को वायरल होने से नहीं रोक सकते.”
श्रीवास्तव कहते हैं, “उन्मादी सामग्री सबसे ज़्यादा फ़ेसबुक और व्हाट्सएप से शेयर की जाती है. इन माध्यमों को रोकने की क़ानूनी शक्ति अभी हमारे पास नहीं है. हम सिर्फ़ इंटरनेट ही बंद कर सकते हैं, लेकिन ये रास्ता भी बहुत प्रभावशाली नहीं है.”
हत्यारे को महिमामंडित कर रहे है कुछ विकृत मानसिकता के लोग सोशल मिडिया पर
वो कहते हैं, “इंटरनेट बंद करने का आम जनजीवन पर व्यापक असर पड़ता है. आज चिकित्सा के क्षेत्र में लगभग 60 फ़ीसदी काम इंटरनेट पर ही हो रहा है. जांच रिपोर्टें इंटरनेट पर तैयार होती हैं और ये मरीज़ों से तुरंत साझा की जाती हैं. बैंकिंग के साथ-साथ अन्य व्यवसाय भी इससे जुड़े हैं. ऐसे में इंटरनेट बंद करना भले कई बार ज़रूरी हो, लेकिन इससे बहुत असुविधा होती है.”
क्या पुलिस व्हाट्सएप ग्रुपों पर नज़र रखने की तैयारी कर रही है? श्रीवास्तव कहते हैं, “हम हर ज़िले में सोशल मीडिया पर नज़र रखने के लिए सेल बना रहे हैं. जब कोई चीज़ वायरल हो जाती है हम तब कार्रवाई करते हैं. लेकिन हमारी कोशिश है कि चीज़ों को वायरल होने से पहले ही रोका जाए.”
श्रीवास्तव कहते हैं, “हमारी पहली प्राथमिकता अभियुक्त को गिरफ़्तार करने की थी और हमने चौबीस घंटों के भीतर उसे गिरफ़्तार कर लिया. इससे लोगों का ग़ुस्सा और ज़्यादा नहीं भड़का. हालात बेहद नाज़ुक थे इसलिए हमने दोनों समुदायों के लोगों को भरोसे में लिया.”
घटना के बाद कई बंगाली प्रवासी वापस भी लौट गए हैं. श्रीवास्तव कहते हैं कि पुलिस ने प्रवासियों को सुरक्षा का भरोसा दिया है और उनके क्षेत्र में नई पुलिस पिकेट स्थापित की है.
व्हाट्सएप ग्रुपों में शंभूलाल रैगर का समर्थन करने वाले कथित हिंदुत्तवादी कार्यकर्ता भी हो सकते हैं. क्या पुलिस उन पर कार्रवाई करने में हिचकेगी? श्रीवास्तव कहते हैं, “हम अभियुक्तों का धर्म या विचारधारा नहीं देखते. जो भी माहौल ख़राब करने की या धार्मिक उन्माद भड़काने की कोशिश करेगा हम उसे गिरफ़्तार करेंगे.”
अगर पुलिस कार्रवाई में राजनेताओं ने दख़ल दिया तो पुलिस क्या करेगी इस पर श्रीवास्तव कहते हैं, “हमारी कार्रवाई में नेता दख़ल नहीं देते हैं. शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जो भी ज़रूरी है वो हम करेंगे. हमारी पहली प्राथमिकता माहौल शांतिपूर्ण बनाए रखने की है. जो भी लोग माहौल ख़राब करने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें गिरफ़्तार किया जाएगा.”
बीबीसी से बातचीत में राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने भी कहा था कि जो लोग क़ानून तोड़ेंगे उन पर पुलिस बिना भेदभाव के कार्रवाई करेगी.