आज हर कोई सोशल नेटवर्किंग का दीवाना है। अगर आज किसी के पास इन सोशल साइट्स पर अकाउंट नहीं है तो उसके यार दोस्त उसे बैकवर्ड मानते हैं। लेकिन क्या आप इस सोशल नेटवर्किंग के इतिहास के बारे में कुछ जानते है? अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं। लेकिन उससे पहले अगर हम आपसे सवाल करें कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स का चलन कितना पुराना है तो शायद आप कहें कि 15 या बीस साल।
लेकिन अगर हम आपको ये बताएं की विश्व में फेसबुक, ऑरकुट, ट्विटर या इस तरह का कोई अन्य नेटवर्क करीब 3000 साल पहले से इस्तेमाल हो रहा है तो आप इसे महज मजाक मानेंगे। यदि वैज्ञानिकों की मानें तो कांस्य युग में यानी करीब 3,000 साल पहले भी लोग एक दूसरे से जुड़े रहने के लिए फेसबुक सरीखे किसी सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल कर अपने मित्रों से जुड़े रहते थे। वैज्ञानिकों ने इसे वर्तमान फेसबुक का प्राक्-ऐतिहासिक संस्करण करार दिया है।
आपको बताते चलें की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने रूस और स्वीडन में दो विशालकाय ग्रेनाइट चट्टानों पर उकेरे गए हजारों चित्रों के अध्ययन के बाद यह दावा किया है। उनका कहना है कि ये स्थल एक तरह से सोशल नेटवर्क के पुरातन संस्करण हैं जिनमें यूजर्स विचारों और भावनाओं का आदान-प्रदान करते थे और दूसरों के योगदान पर स्टैंप लगाकर उसकी सराहना करते थे, बिल्कुल वैसे ही जैसे फेसबुक में हम ‘लाइक’ को क्लिक करके किसी की बात को पसंद करते हैं।
इस अध्ययन से जुड़े एक शोधकर्ता मार्क सैपवेल का मत है कि, “इन खाली जगहों के बारे में जरूर कुछ खास बात है। मुझे लगता है कि लोग वहां इसलिए गए क्योंकि वे जानते थे कि उनसे पहले भी वहां बहुत से लोग जा चुके हैं। आज की तरह तब भी लोग एक दूसरे से जुड़े रहने का अहसास चाहते थे। एक लिखित भाषा का आविष्कार होने से पहले शुरुआती समाज में ये हजारों चित्र उनके लिए पहचान का इजहार करने के साधन थे।”
सापवेल के मुताबिक, रूस के जालावरूगा और उत्तरी स्वीडन के नामफोरसेन में वह जिन स्थलों का अध्ययन कर रहे हैं वहां करीब 2,500 तस्वीरें हैं। उनमें जानवरों, मनुष्यों, नौकाओं और शिकारी दलों की तस्वीरें शामिल हैं।