उदयपुर. कानपुर, भोईयों की पचोली में अनंत चतुर्दशी के दिन वृद्धा भंवरी बाई डांगी की हत्या का राज फाश कर पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। तीनों आरोपी कानपुर में ही रहकर वारदात के बाद वहीं छुप गए। पुलिस ने संदेह के आधार पर घटना वाले दिन ही इन्हें पचास अन्य संदिग्धों के साथ धर दबोचा था। इन्होंने खूब गुमराह किया लेकिन बाद में ये टूट गए। पूछताछ में एक आरोपी ने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर वर्ष 2005 में सलूंबर के माकड़सीमा गांव में भी एक वृद्धा की हत्या कर जेवर लूटने का खुलासा किया है। इनमें से एक की मृत्यु हो चुकी है और एक वर्षों से गांव से गायब है।
पुलिस अधीक्षक राजेंद्रप्रसाद गोयल ने बताया कि कानपुर निवासी भंवरी बाई पत्नी मानाजी डांगी की हत्या के मामले में कानपुर निवासी सुरेश पुत्र परथा वागरिया, उसका जीजा रूपपुरा, जावद, नीमच (मध्यप्रदेश) निवासी गोपाल पिता शंकर वागरिया व दनेता फलां प्रतापपुरा सलूंबर निवासी नोजीराम पिता खरता मीणा को गिरफ्तार किया। तीनों आरोपी शातिर हैं। नोजीराम कानपुर में ही गणेश डांगी के मकान में रहकर ट्रेक्टर चलाता था, उसका वागरियों के घर आना-जाना था।
शराब पी, मीट खाया फिर मार डाला
पुलिस ने बताया कि आरोपी नोजीराम व सुरेश वागरिया लंबे समय से भंवरी बाई की रैकी कर रहे थे। उन्हें पता था कि वृद्धा शाम के समय अकेले ही अपने खेत पर आती-जाती है। अनंत चतुर्दशी पर आरोपियों ने शराब पी, मीट खाया उसके बाद एक जगह आकर बैठ गए। उसी दौरान वृद्धा अपने खेत पर जाती दिखी तो उन्होंने उसका पीछा किया। वहां खेत में जाते ही उसके सिर पर लट्ठ मारा। जिससे वह बेहोश होकर नीचे गिर गई। लोगों की नजर से बचने के लिए आरोपित वृद्धा को उठाकर मक्के व गन्ने के खेत के बीचोंबीच लेकर गए। वहां पर बड़ी बेरहमी से पैरों को काटकर चांदी के कड़े, कानों की मुरकियां व नाक की नथ निकाल ली। हड़बड़ाहट के चलते हाथ में पहनी चांदी की चूडिय़ां, गले का मादलिया छोड़ भाग निकले।