राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले एक पूर्व सैनिक को जीते जी मृत घोषित कर देने का सनसनीखेज़ मामला सामने आया है। चौंकाने वाली बात ये है कि जिस पूर्व सैनिक को ज़िंदा रहते मृत घोषित किया गया है उसने हिंदुस्तानी सेना में रहते हुए पाकिस्तान और चीन के खिलाफ जंग में लोहा मनवाया है।
अब ये मामले राजस्थान हाईकोर्ट पहुंचा है। पीड़ित पूर्व सैनिक ने अदालत से न्याय की गुहार लगाई है। इस गुहार पर हाईकोर्ट ने भी सरकारी मुलाज़िमों को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
भूमि हस्तांतरण से जुड़ा है मामला
हाइकोर्ट ने पूर्व सैनिक को मृत मानकर उसकी भूमि का हस्तान्तरण कथित पत्नी के नाम करने पर सीकर कलक्टर, एसडीएम श्रीमाधोपुर, तहसीलदार, लैंड सेटलमेंट अधिकारी सहित एक अन्य से जवाब मांगा है। साथ ही, भूमि उत्तराधिकार को लेकर अधीनस्थ अदालत में चल रही कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी है।
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न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने प्रहलाद सिंह की याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया। प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता अनुराग कलावटिया ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता 1961 में बतौर सैनिक भारत-पाक और भारत-चीन युद्ध में शामिल हुआ। 1972 में उसने सेना की नौकरी छोड दी।
बताया गया है कि उसकी श्रीमाधोपुर के हरका बास में करीब 12 बीघा पैतृक भूमि थी। मालीदेवी नाम की महिला की मां कोशल्या देवी ने स्वयं को याचिकाकर्ता की विधवा बताते हुए 1988 में सेटलमेंट विभाग से जमीन अपने नाम करवा ली। जबकि याचिकाकर्ता ने आज तक विवाह ही नहीं किया।
वर्ष 1999 में कोशल्या की भी मौत हो गई अब उसकी बेटी मालीदेवी ने भूमि पर दावा पेश किया है। याचिकाकर्ता ने स्वयं को जीवित मानते हुए भूमि के स्वामित्व के संंबंध में रिकॉर्ड दुरुस्त करवाने का आग्रह किया है।
देखिये हैवानियत का यह विडियो
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