पोस्ट न्यूज़ . पिछले चार दिनों से १०८ और १०४ अब्लेंस के ड्राइवरों की हड़ताल चल रही है . कंपनी के खिलाफ राज्य भर के अम्बुलेंस ड्राइवर लामबंद हो कर हड़ताल पर उतारे हुए है . ड्राइवरों से चाबी लेने के सरकारी आदेश के बाद भी ड्राइवरों ने चिकित्सा अधिकारियों को चाबियाँ नहीं सोंपी है . उदयपुर जिले में मरीजों को ख़ासा नुक्सान उठाना पद रहा है साथ ही परेशानी का सामना भी करना पद रहा है .
इधर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजीव टांक ने जीवीके-ईएमआरआई कंपनी को नोटिस जारी कर पूछा है कि बार-बार कहने पर भी सभी 66 एंबुलेंस की चाबियां विभाग को क्यों नहीं दी गई हैं। साथ ही चेताया कि एंबुलेंस के अभाव में कोई अप्रिय घटना हुई तो जिम्मेदारी कंपनी की होगी।
जिले की कुल 66 में से 12 एंबुलेंस के संचालन का विभागीय दावा शहर में ही कोरा साबित हुआ। यहां हाथीपोल थाना पुलिस को स्वरूप सागर पुलिया के नीचे मिले शव को अस्पताल लाने के लिए निजी एंबुलेंस की मदद लेनी पड़ी। दूसरी ओर, पांच एंबुलेंस तीन दिन से यह सेवा चला रही जीवीके-ईएमआरआई कंपनी के भुवाणा स्थित सर्विस सेंटर में खड़ी रही। इनके चालकों का भी अता-पता नहीं था। कंपनी के मीडिया प्रभारी भानु सोनी ने कहा कि चालक एंबुलेंस की चाबियां दे नहीं रहे हैं। घायलों और गंभीर मरीजों को तत्काल अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए जिले में 108 एंबुलेंस 32 और 104 एंबुलेंस 34 लगी हैं, जिनमें से अमूमन थानों, पुलिस चौकियों, हाईवे किनारे सहित जहां-तहां पड़ी रहीं। एमबी हॉस्पिटल में दिनभर में एक भी 108 या 104 एंबुलेंस नजर नहीं आई।
मीडिया प्रभारी सोनी व अन्य ने बताया कि सरकार ने सुलह के लिए प्रदेशभर से चालक यूनियन के पदाधिकारियों को जयपुर बुलाया। उदयपुर यूनियन के चालक भी पहुंचे। दिन में तीन बार बातचीत हुई, लेकिन नतीजा नहीं निकला। रात को भी वार्ता का दौर चला। सोनी ने दावा किया है कि कंपनी चालकों को ईपीएफ, ईएसआई आदि का लाभ देने के बाद आठ हजार रुपए प्रतिमाह तनख्वाह देती है। वहीं चालकों ने कहा है कि वे घायलों को अस्पताल लाने-ले जाने के लिए दिनभर मेहनत करते हैं और उन्हें ही मेडिकल की सुविधा नि:शुल्क नहीं दी जाती। उन्हें समान कार्य का समान वेतन चाहिए। यह वर्ग कर्मचारियों से 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं लेने, सप्ताह में एक दिन अवकाश आदि मांगें भी कर रहा है।