विद्यापीठ में विवेकानन्द एवं उनका आध्यात्म एवं चिंतन पर सेमीनार सम्पन्न
उदयपुर, षिकागों धर्म सभा के 150 वें वर्ष पूर्ण होने पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विष्वविद्यालय के प्रतापनगर स्थिति आईटी सभागार मुख्य अतिथि प्रवाजिका मॉ अमित प्राणाजी ने युवाओे का आव्हान किया करते हुए कहा कि दुनिया में हिन्दू धर्म एवं भारत की प्रतिष्ठा स्थापित करने वाले स्वामी विवेकानन्द आज भी युवाओं के दिल में विद्यमान है। उन्होंने ने कहा कि विष्व मंच पर युवाओं को स्थापित करने हेतु हमें षिक्षा के साथ साथ भारतीय संस्कृति तथा विवेकानन्द के नैतिकता तथा उनके जीवन मूल्यों को अपनाना होगा। साथ ही उन्होंने बताया कि विवेकानन्द भारत को एक ऐसा देष मानते थे जहां आध्यात्म जिवित है और जहा से सम्पूर्ण विष्व में अध्यात्म का प्रचार प्रसार किया जा सकता है। अवसर था विद्यापीठ में विवेकानन्द एवं उनका आध्यात्म एवं चिंतन पर सेमीनार का।
अतित को पहचानना होगा: मॉ अमित प्राणाजी ने कहा कि अतित से भविष्य का निर्माण होता है। अतः हमें हमारे पूर्वजों द्वारा किए गए कार्यो को पहचान कर वर्तमान संदर्भ में उनके द्वारा किए गए कार्यो से सीख लेकर आगे बढ़ना होगा।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने नारी जागरण पर जोर देते हुए कहा कि हमें जन साधारण को जगाना होगा। तभी देष का कल्याण होगा और हमारे देष में नारियो की पूजा करके ही सभी धर्म व जातिया आगे बढी है। जिस देष में नारियो को पूजा नही जाता वह देष हमेषा से पिछे रहा है। साथ ही यदि जनता को आत्म निर्भर होने की षिक्षा देनी होगी। साथ ही षिक्षा कोरोजगारोन्मुखी से जोड़ा जाना होगा।
विषिष्ट अतिथि डॉ. विनया पेन्डसे, तथा श्रीमती मंजूला बोर्दिया थी। इस अवसर चांसलर प्रो. भवानीषंकर गर्ग का शुभकामना वाचन डॉ. लक्ष्मीनारायण नन्दवाना किया। इस अवसर पर डॉ. एन.एस. राव, डॉ. ललित पाण्डेय, डॉ. आर.बी. सिंह, डॉ. मंजू मांडोत, डॉ. भारत सिंह, डॉ. जी.एम. मेहता, डॉ. गौरव गर्ग सहित अनेक छा? छात्राए उपस्थित थे।
इस अवसर पर विवेकानन्द के मूल्यों पर आधारिक चित्रों एवं उनके साहित्य की प्रदर्षनी लगाई गई। इस अवसर पर मॉ अमितप्राणा जी, डॉ विनय पेन्डसे, श्रीमती मंजूला बोर्दिया को प्रतीक चिन्ह एवं शॉल ओढ़ा कर सम्मान किया गया।
समारोह का संचालन डॉ. हीना खां ने किया जबकि धन्यवाद रजिस्ट्रार डॉ. प्रकाष शर्मा ने दिया।