“मल्हार” में मयूर और कत्थक ने रिमझिम फुहार का एहसास जगाया

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उदयपुर, यहाँ गणगौर घाट पर स्थित बागोर की हवेली के कँआ चौक के बरामदे में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित संगीत और नृत्य उत्सव ‘‘मल्हार’’ के दूसरे दिन गायन में जहाँ मेघ मल्हार बरसा वहीं कथक की थिरकन में उपजा मल्हार, भरतपुर के मयूर नृत्य ने राधे राधे के साथ सतरंगी छटा बिखेरी।

रविवार शाम एक ओर जहां नभ में घनघोर घटाओं ने मल्हार राग सुनाते हुए रिमझिम की फुहार की वहीं दूसरी ओर कला साधकों ने अपने कंठ, अपने पैर तथा कमोबेश सम्पूर्ण शरीर से मल्हार को सुरीले, कलात्मक तथा मोहक अंदाज में रूपायित किया। कार्यक्रम की शुरूआत गोवा के कला एवं संस्कृति निदेशालय के सौजन्य से आये गायक सचिन अर्जुन तेली ने अपने गायन से स्वर मधु घोल दिया। ग्वालियर घराने के शशांक मक्तेदार के शिष्य सचिन ने राग मियां मल्हार में निबद्ध बंदिश पेश की। उन्होंने विलंबित में एक ताल में निबद्ध रचना ‘‘करीम नाम तेरो….’’ में अपने कंठ की लोच तथा आवाज़ का जादू बिखेरा। इसके बाद उन्होंने द्रुत गत में पे. गजानंद भुवा जोशी की बंदिश ‘‘घन गरजत गरजे बेलरिया…’’ सुरीले अंदाज में प्रस्तुत की।

इसके उपरान्त औरंगाबाद की विख्यात नृत्यांगना व कथक सम्राट पं. बिरजू महाराज की शिष्या पार्वती दत्ता व उनके दल दूसरे दिन ‘‘सृजन तीर्थ’’ रचना में राज प्रासादों, महलों तथा राजा महाराजाओं का गुणगान किया गया जिन्होंने कला के विकास व सृजन में अपना महती योगदान दिया। आखिर में पार्वती दत्ता के दल ने ग्वालियर के संगीत सम्राट तानसेन द्वारा रचित ध्रुपद राग तोड़ी में निबद्ध व रानी मृगनयनी को समर्पित रचना पेश कर अपनी छाप छोड़ी। इस अवसर पर प्रसिद्ध कथक गुरू बिरजू महाराज के दादा बिन्दादीन महाराज की अष्टपदी पर नर्तन आकर्षक प्रस्तुति बन सकी। इस प्रस्तुति में इसके बाद उनके साथ कन्नगी गोसावी, शीतल भामरे, सृष्टि जुन्नरकर व राधिका शेलार ने भाग लिया।

 

 

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