भटक गई ट्रेन

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सड़क पर वाहन चलाने वालों का रास्ता भटकना तो आम है. लेकिन क्या आपने कभी किसी ट्रेन को राह भटकते देखा-सुना है? यह अजीबोगरीब वाकया यहां पूर्व रेलवे के हावड़ा से धनबाद के बीच चलने वाली कोलफील्ड एक्सप्रेस के साथ हुआ. 

इस ट्रेन को जाना तो था धनबाद. लेकिन केबिनमैन ने गलती से इसे शांतिनिकेतन (बोलपुर) जाने वाली पटरी पर आगे बढ़ा दिया. कुछ दूर जाने के बाद जब ड्राइवर और ट्रेन के यात्रियों को राह से भटकने का पता चला तो अफरातफरी मच गई. नतीजतन उस सेक्शन में तीन घंटे से ज्यादा समय तक ट्रेनों की आवाजाही गड़बड़ रही. ट्रेन के इस तरह राह भटकने से कोई बड़ा हादसा भी हो सकता था. वह सामने से आ रही किसी ट्रेन से टकरा सकती थी.

 ‘तार नहीं दिखी तो पता चला….’

सोमवार की शाम यह ट्रेन हावड़ा से रवाना होकर बर्दवान तक तो ठीक राह पर ही गई थी. उसके बाद वाले स्टेशन खाना जंक्शन से धनबाद और शांतिनिकेतन की पटरियां अलग हो जाती हैं. लेकिन केबिनमैन ने इस ट्रेन को धनबाद की बजाय शांतिनिकेतन की ओर बढ़ा दिया. लगभग पांच किलोमीटर जाने के बाद जब ड्राइवर ने देखा कि आगे तो बिजली के ओवरहेड तार हैं ही नहीं, तब उसे इस गलती का पता चला. हावड़ा-धनबाद रूट में हर ट्रेन में बिजली वाला इंजन लगा होता है. लेकिन शांतिनिकेतन वाले रूट में ऐसा नहीं है. इस गलती का पता चलने पर ड्राइवर ने नजदीकी स्टेशन को सूचित किया. लगभग दो घंटे ट्रेन वहां खड़ी रही. उसके बाद बर्दवान से एक इंजन भेजकर ट्रेन को पीछे की ओर से खींच कर उसके असली रूट तक लाया गया. इस गड़बड़ी की वजह से धनबाद या उससे आगे जाने वाली ट्रेनें तीन-तीन घंटे तक विभिन्न स्टेशनों पर खड़ी रहीं.

 रूट बाधित

उस ट्रेन में ज्यादातर वही लोग होते हैं जो धनबाद और कोलकाता के बीच नौकरी या व्यापार के सिलसिले में रोजाना आवाजाही करते हैं. ट्रेन में सवार एक यात्री रामेश्वर सिंह कहते हैं, ‘खाना जंक्शन से आगे जाने के बाद ट्रेन अचानक दो स्टेशनों के बीच खड़ी हो गई. अंधेरा होने की वजह से पहले तो कुछ समझ में नहीं आया. लेकिन बाद में पता चला कि हमारी ट्रेन ही रास्ता भटक गई है.’

एक अन्य यात्री विश्वनाथ मंडल कहते हैं, ‘रेलवे की इस गलती से बड़ा हादसा हो सकता था. हमारी ट्रेन गलत पटरी पर होने की वजह से सामने से आने वाली किसी ट्रेन से टकरा सकती थी. लेकिन भगवान का शुक्र है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ.’

पूर्व रेलवे ने इस मामले की विभागीय जांच के आदेश दे दिए हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, ट्रेन के नाम के बारे में सही सूचना नहीं मिलने की वजह से शायद केबिनमैन ने उसे गलत पटरी पर डाल दिया.

 टल गया हादसा

रेलवे सूत्रों का कहना है कि इसमें ट्रेन के ड्राइवर की कोई गलती नहीं है. वह तो हरा सिगनल मिलने के बाद ट्रेन को पूरी रफ्तार से भगाने में लगा होगा. तलित स्टेशन से सौ मीटर बाद इस गलती का पता चला.

रेलवे के अधिकारियों की दलील है कि रेलवे के इतिहास में ऐसी गलती बहुत कम हुई है. कम से कम पूर्व रेलवे में तो पहली बार ऐसा हुआ है. वह मानते हैं कि इस गलती की वजह से कोई बड़ा हादसा हो सकता था.

इसके अलावा ट्रेन के इंजन पर लगा पैंटोग्राफ, जिससे ओवरहेड तारों से बिजली मिलती है, कहीं फंस कर टूट सकता था.

पूर्व रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि अब जांच से पता चलेगा कि यह कोई मानवीय गलती थी या फिर तकनीकी कारणों से पटरी बदल गई.

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