केवडा की नाल में नव विकसित ईको टूरिज्म साइट का अवलोकन
१० लाख से ईको टूरिज्म कॉम्पलेक्स का निर्माण प्रारम्भ
उदयपुर, । राज्यपाल श्रीमती मारगे्रट अल्वा ने अपने उदयपुर प्रवास के आज तीसरे दिन जनजाति क्षेत्रीय विकास, एम.पी.डी.ए. तथा मनरेगा के अन्तर्गत उदयपुर से २० किलोमीटर दूर वनखंड केवडा की नाल पहुंच कर राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना के अन्तर्गत विकसित किये गये ईको टूरिज्म साइट का अवलोकन किया।
राज्यपाल ने विकसित किये जा रहे ईको टूरिज्म कॉम्पलेक्स के बारे में आशा जताई कि उदयपुर से जयसमन्द अभ्यारण्य जाने वाले पर्यटकों को अब उदयपुर से २० किलोमीटर दूरी पर ही नया ईको डेस्टीनेशन की सौगात मिलेगी। यहां पर्यटकों की आवाजाही बढेगी जिससे स्थानीय जनजाति लोगों को रोजगार के नये अवसर मिलेंगे और उनकी आय में वृद्घि होगी।
राज्यपाल को अवगत कराया कि केवडा की नाल में विभिन्न योजनाओं से नाला उपचार कार्य के अन्तर्गत छोटी-बडी ७ जल संरक्षण संरचनाएं बनायी गई हंै जिनमें वर्ष भर जल की उपलब्धता बनी रहती है। जैविक दबाव कम करने के लिए मनरेगा के अन्तर्गत ६ किलोमीटर लम्बी कम लागत वाली सुरक्षा दीवार का निर्माण कराया गया तथा ७० हजार से अधिक ग्वार पाठा के पौधों का रोपण किया गया। नेशनल मेडिशनल प्लान्ट बोर्ड द्वारा स्वीकृत एम.पी.डी.ए. योजना के अन्तर्गत २ हजार हैक्टेयर वन क्षेत्र में ५० हजार औषधीय पौधों का रोपण किया गया है। इनसे जनजाति लोगों के लिए रोजगार के अवसर बडे है।
राज्यपाल को यह भी जानकारी दी गई कि गत दो वर्षो से यहां बांस विदोहन से समिति को ४.५० लाख रुपये की आय हुई है। इस वर्ष २०१२-१३ में भी एक लाख रुपये से ज्यादा बांस निकालने के प्रबंधन की योजना स्वीकृत हुई है जिससे समिति को १० लाख रुपये से ज्यादा की आय होने की संभावना है। यहां किये गये कार्यो से वन संवर्धन और जनजाति लोगो को रोजगार मिला है वहीं पानी की उपलब्धता तथा वानस्पतिक सघनता बढने से वन्यजीवों की संख्या में भी वृद्घि हुई है। यहां ६ किलोमीटर लम्बाई तथा ८०० हैक्टेयर क्षेत्र में करीब ५ से ६ पेंथर की साईटिंग देखी जाती रही है। अन्य ऋतुओं सहित विशेषकर वर्षा ऋतु में यह स्थल अत्यन्त मनोरम होने से यहां बडी संख्या में पर्यटक आने लगे है। जनजाति क्षेत्रीय विकास योजना मद में हल्दुघाटी केवडे की नाल में २ लाख रुपये से एक पौधशाला का निर्माण भी कराया जा रहा है।