उदयपुर। शहर में पांच हजार से ज्यादा गरदुल्ले हैं, लेकिन न तो इनको सुधारने के लिए यहां पर नशा निवारण केंद्र हैं और न ही पुलिस नशे के कारोबार को रोकने में समर्थ है, जो बड़ी चिंता का विषय है। एसपी साहब और कलेक्टर साहब कहते हैं कि गरदुल्लों को सुधार पाना या शहर में नशे के कारोबार को रोक पाना उनके बूते की बात नहीं है। हालांकि एसपी साहब ने ये जरूर कहा हैं कि वे नशे के कारोबार पर नकेल कसने के प्रयास करेंगे, लेकिन साथ ही अपनी लाचारी भी बताई कि इस कारोबार को करने वाले तस्करों के वकील जांच अधिकारी को ही कानूनी पेचीदगियों में फंसा देते हैं। इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती है।
इधर, कलेक्टर साहब का कहना है कि गरदुल्लों से नशा छुड़ाने के लिए उदयपुर में कोई संस्थान या उपचार केंद्र नहीं है। उदयपुर क्या पूरे राजस्थान में ही ऐसा कोई सेंटर नहीं है, जहां पर गरदुल्लों को सुधारा जा सके। कलेक्टर साहब ने कहा कि गरदुल्लों के लिए अगर शिविर भी लगाएंगे, तो तीन दिन बाद वे भागकर फिर नशा करने लगेंगे। उन्होंने कहा कि स्मैक या हेरोइन जैसे नशे के आदी युवकों के इलाज के लिए सिर्फ दिल्ली में नशा निवारण सेंटर है।
एक सार्थक पहल की जरूरत
हमारे समाज में नशा छोटे-छोटे बच्चों में नासूर बनकर घुस गया है। यह महज पुलिस की ही जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वो समाज से नशे को दूर करे, बल्कि सभी को मिलकर पहल करनी होगी। एक सार्थक पहल, जो लक्ष्य को प्राप्त हो सके। शहर के कई इलाकों में हेरोइन, ब्राउन शुगर, स्मैक आदि कई प्रकार के नशे बिक रहे हैं। इस नशे के आदी होने वालों में सबसे ज्यादा १५ से ३० साल के बच्चे और नौजवान है। अगर समय रहते नशे के इस कारोबार पर नकेल नहीं कसी गई, तो हमारे शहर की आने वाली पीढ़ी बर्बाद हो जाएगी। पुलिस की इस कारोबार को बंद करने में अहम भूमिका है, लेकिन इससे समाज की भूमिका खत्म नहीं हो जाती। सभी को मिलकर, एकजुट होकर, हम कदम होकर युवाओं को लगी इस बीमारी को दूर करना होगा। इसमें पुलिस, आमजन, स्वयं सेवी संस्थाओं को अपनी भूमिका अदा करनी होगी। पुलिस को चाहिए कि वो नशे के कारोबार पर नकेल कसे। आमजन को चाहिए कि अपने इलाके, मोहल्ले या घर में कोई इस नशे का आदी हो गया है, तो उसको संबल दे, साथ दे और नशे को छुड़वाने में उसकी पूरी मदद करे, इलाज कराए। और स्वयं सेवी संस्थाओं को चाहिए कि वे इस नशे के आदी युवाओं से काउंसलिंग करे। अगर कोई युवक इलाज कराने में सक्षम न हो, तो उसकी आर्थिक मदद करे, ताकि हमारा शहर इस जानलेवा हालात से छुटकारा पा सके।
दिल्ली की तरह उदयपुर में भी खुले सेंटर
कलेक्टर विकास एस. भाले ने कहा कि उदयपुर ही नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान में ही स्मैक, हेरोइन जैसे नशे को छुड़ाने के लिए कोई नशा निवारण केंद्र नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार को चाहिए कि वो उदयपुर में ऐसा नशा निवारण केंद्र खोले, ताकि युवाओं को इस नशे से बचाया जा सके। इसके लिए शहर के सभी संगठनों और स्वयंसेवी संस्थाओं को सरकार से मांग करनी चाहिए।